मां तुम्हारी बिंदी कहां है...दरिंदगी के 3 दिन बाद होश में आने पर निर्भया ने पूछा था यही सवाल

नई दिल्ली. 2651 दिन के लंबे इंतजार के बाद भले ही निर्भया को न्याय मिल गया। लेकिन उस हैवानियत या दर्द को नहीं भुलाया जा सकता, जिसे निर्भया ने उस रात के बाद झेला था। 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया से गैंगरेप हुआ। उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 3 दिन बाद उसे होश आया तो उसने मेरी तरफ देखा और बोली, मां आज तू नहाई नहीं क्या? तेरी बिंदी कहां है? जाओ और बिंदी लगाकर आओ। मां ने पिछले दिनों रोते हुए बेटी के दर्द की कहानी बयां की थी। उन्होंने बताया कि हादसे से कुछ दिनों पहले ही उसने मेरे लिए चूड़ी और नेल पॉलिश लेकर आई थी। आज भी वो चूड़ी और नेल पॉलिश ऐसे ही रखे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 21, 2020 5:12 AM IST

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मां तुम्हारी बिंदी कहां है...दरिंदगी के 3 दिन बाद होश में आने पर निर्भया ने पूछा था यही सवाल
भूलाए नहीं भूलते बेटी के दर्द के वो 13 दिन : निर्भया की मां ने एक इंटरव्यू में बताया था कि निर्भया से गैंगरेप के बाद उसके साथ 13 दिन में जो दर्द हुआ, उसे मैंने सिर्फ देखा, लेकिन मेरी बेटी ने जो सजा, उसे मैं भुलाए नहीं भूल सकती हूं।
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निर्भया की मां ने बताया था कि जिस लड़की पर हमने कभी हाथ नहीं उठाया, उसे ऐसे दर्द से गुजरना पड़ा। इतना कहते ही निर्भया की मां की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं। मां ने बताया था कि दर्द की वजह से मेरी बेटी सो नहीं पाती थी।
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उन्होंने बताया, निर्भया दर्द को कंट्रोल करते हुए कहती थी, मम्मी पापा, मैं ठीक हो जाऊंगी। आप दोनों परेशान न हो। लेकिन उसे ऐसा सदमा और दर्द था कि वह सो नहीं पाती थी।
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मां ने बताया कि बेटी इतना ज्यादा डरी थी कि कहती थी कि मां आंख बंद करते ही लगता है कि कोई आसपास खड़ा है। डर से आंख ही बंद नहीं करती थी। उसके पास दो नर्स हमेशा उसके पास रहते थे।
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मां ने बताया था कि मौत से पहले निर्भया उंगलियों पर दिन गिना करती थी। वह मुझसे बोलती थी, मां आज कौन सा दिन है। बहुत दिन हो गए हैं। मुझे घर जाना है। जब नर्स कहती कि अभी तबीयत ठीक नहीं है, तब वह मायूस हो जाती थी।
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'उसने मेरा हाथ पकड़ा और गले लगा लिया': जिस दिन निर्भया का निधन हुआ, उस दिन शायद उसे पता चल गया था। उसने अपने पापा को बुलाया और बोली, आई एम सॉरी पापा। मैंने आप दोनों को बहुत तकलीफ दी है। फिर मेरा हाथ पकड़ा और अपने गले लगा लिया। उस वक्त हम सिंगापुर के अस्पताल में थे।
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'..जब वापस आकर देखा तो उसने आंखें बंद कर लीं'  : निधन वाले दिन बेटी ने हम दोनों से कहा कि आप लोग जल्दी से जाकर खाना खा कर आओ। थोड़ी देर में किसी ने पुकारा और कहा कि आपकी बेटी बुला रही है। वहां गए तो देखा उसकी आंखों बंद हो रही थीं। वह हमें देख नहीं पाई। फिर उसने कभी आंखें नहीं खोलीं।
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निर्भया की मां बताती हैं कि जब तक वह भर्ती रही, वे उसे पानी तक नहीं पिला पाईं। निर्भया की आंत बाहर आ गई थी। डॉक्टरों ने बताया था कि वह उस स्थिति में नहीं थी कि उसे पानी पिलाया जा सके।
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कौन थी निर्भया?: निर्भया सिर्फ एक नाम नहीं है, यह उन तमाम महिलाओं के लिए हिम्मत है, जो किसी ना किसी तरह से उत्पीड़न झेलती हैं। निर्भया का जन्म 10 मई 1989 को दिल्ली में हुआ था।
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क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड? : 16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी। दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे।
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इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
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कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी ठहराया था। एक नाबालिग था, जिसे 3 साल सुधारगृह में रहने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं, एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली। अब चार दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी गई।
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