रांची, झारखंड. कहते हैं कि उड़ान पंखों से नहीं; हौसलों से होती है। यह कहानी भी रांची के रहने वाले ऐसे ही एक दिव्यांग शख्स की है, जिसने विकलांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। जैसा कि दिव्यांग लोगों को लेकर भ्रम होता है कि उनके लिए रोजगार मुश्किल है। आपने भी सड़कों और धार्मिक स्थलों के बाहर दिव्यांगों को भीख मांगते देखा होगा। इस शख्स के बारे में भी लोग यही सोचते थे। लेकिन इसने सबका भ्रम तोड़ दिया। आज ये खुद की प्रिंटिंग प्रेस चला रहा है। यही नहीं; प्रिंटिंग प्रेस में अपने जैसे कई दिव्यांगों को भी रोजगार पर रखा हुआ है।