Good Story: लोगों को लगता था कि ये दिव्यांग है, इसलिए भीख मांगेगा; लेकिन आज कई लोगों का 'बॉस' है

रांची, झारखंड. कहते हैं कि उड़ान पंखों से नहीं; हौसलों से होती है। यह कहानी भी रांची के रहने वाले ऐसे ही एक दिव्यांग शख्स की है, जिसने विकलांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। जैसा कि दिव्यांग लोगों को लेकर भ्रम होता है कि उनके लिए रोजगार मुश्किल है। आपने भी सड़कों और धार्मिक स्थलों के बाहर दिव्यांगों को भीख मांगते देखा होगा। इस शख्स के बारे में भी लोग यही सोचते थे। लेकिन इसने सबका भ्रम तोड़ दिया। आज ये खुद की प्रिंटिंग प्रेस चला रहा है। यही नहीं; प्रिंटिंग प्रेस में अपने जैसे कई दिव्यांगों को भी रोजगार पर रखा हुआ है।

Amitabh Budholiya | Published : Oct 9, 2021 4:45 AM IST
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Good Story: लोगों को लगता था कि ये  दिव्यांग है, इसलिए भीख मांगेगा; लेकिन आज कई लोगों का 'बॉस' है

ये हैं रांची के रहने वाले धनजीत राम चंद। एक जन्म से दिव्यांग हैं। बचपन में इनके मां-बाप को इनकी फिक्र बनी रहती थी कि उनका बेटा बड़े होकर क्या करेगा? कैसे अपना पेट भरेगा, घर-परिवार चलाएगा, लेकिन आज ये खुद सक्षम हैं और दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

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धनजीत राम रांची में जिस प्रिंटिंग प्रेस को चलाते हैं, उसे आज सब जानते हैं। उनके पास काम भी इतना है कि कई लोगों को रोजगार पर रखा हुआ है। धनजीत ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया-"इस काम ने मुझे आत्मनिर्भर बना दिया है और आज यह कई और अलग-अलग विकलांग लोगों की मदद कर रहा हूं, जो किसी पर बोझ नहीं डालना चाहते हैं।

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धनजीत राम को इस मुकाम तक लाने में एनजीओ चेशायर होम (NGO Cheshire Home) की अहम भूमिका रही है। धनजीत राम को इसी NGO ने सपोर्ट किया। धनजीत ने कहा कि जब उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस खोलने का प्रस्ताव रखा, तो, NGO ने उनका पूरा सपोर्ट किया। 

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धनजीत राम कहते हैं कि एक समय था जब विकलांग लोगों को भिखारी के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। मेरे पास एक घर है। कई लोग मेरे साथ काम करते हैं।

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धनजीत राम आज रांची में एक जाना-पहचाना नाम है। उनकी प्रिंटिंग प्रेस भी काफी अच्छी चलती है। इस प्रेस ने कई दिव्यांगों और साधारण लोगों को रोजगार दिया हुआ है।

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