अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने पक्ष में क्या क्या दलीलें दी थीं

नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने वाला है। कोर्ट ने 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें सुनी गईं। 9 साल पहले 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ के हिस्से को तीन क्षेत्रों में बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनपर 40 दिन तक सुनवाई हुई। ऐसे में बताते हैं कि कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने क्या-क्या दलीले दीं। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2019 5:01 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:26 PM IST
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अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने पक्ष में क्या क्या दलीलें दी थीं
1528: बाबर ने यहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान राम जन्मे थे।  1813: हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। इस दिन ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई थी।
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1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी कर दी। अंदरूनी और बाहरी परिसर में मुस्लिमों-हिंदुओं को अलग-अलग पूजा-इबादत करने की इजाजत दी।  1885: ये मामला पहली बार अदालत पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की।
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1949:  हिंदुओं ने विवादित स्थल पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद से हिंदू यहां नियमित पूजा होने लगी। जनवरी 1950: रामलला की पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर की।
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दिसंबर 1950: मस्जिद को ढांचा नाम देकर, महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने की अनुमति के लिए मुकदमा दायर किया। 1959: विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए निर्मोही अखाड़ा ने मुकदमा दायर किया।
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1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला जज ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। नाराज मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। जून 1989: भाजपा ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन दिया।
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नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार किया गया। भाजपा ने नाराज होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अधिकार में ले लिया।
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18 दिसंबर 1961: बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा दायर किया। 1984: मंदिर के लिए विश्व हिंदू परिषद ने अभियान चलाया। मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन भी किया गया।
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