जानिए क्या होती है SPG सुरक्षा, स्पेशल कमांडो की ट्रेनिंग से लेकर उनके खास हथियारों तक
नई दिल्ली. भारत में वीवीआईपी सिक्योरिटी के क्षेत्र में एसपीजी सुरक्षा का नाम सबसे ऊपर आता है। शुक्रवार को और सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी की सुरक्षा हटा दी गई। हालांकि गांधी परिवार को जेड प्लस सुरक्षा रहेगी। आपने एसपीजी सुरक्षा का नाम तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आप इसके बारे में कुछ अलग जानकारी रखते हैं। क्या आप जानते हैं SPG का गठन कब हुआ, SPG कमांडों की ट्रेनिंग कैसी होती है, SPG प्रमुख कौन होता है? नहीं तो आइए हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं।
Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2019 1:53 PM IST / Updated: Nov 09 2019, 08:31 PM IST
एसपीजी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप है जिसकी स्थापना इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इसका काम है भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करना। इनके अतिरिक्त एसपीजी किसी और वीवीआईपी की सुरक्षा में नहीं लगाई जाती।
1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की जिम्मेदारी हुआ करती थी। अक्टूबर 1981 में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया। अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि एक विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दारोमदार संभालना चाहिए। इसके बाद एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की। मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश पेश की। 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया. इसे नाम दिया गया स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप।
SPG के प्रमुख का पद तीन साल के निश्चित कार्यकाल के लिए बनाया गया है। SPG फोर्स कैबिनेट सचिवालय के तहत काम करती है। इसका प्रमुख डायरेक्टर रैंक का आईपीएस अफसर होता है। इसका मुख्यालय पीएम हाउस में ही होता है।
हमले की सूरत में सेकंड कार्डन की जिम्मेदारी होती है कि वह पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्यॉरिटी कवर दें ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है। इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है।
SPG के जवानों को वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। ये वही ट्रेनिंग है जो यूनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है। इसमें जवानों को फिट, चौकस और टेक्नोलॉजी में परफेक्ट बनाया जाता है। देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होने के नाते एसपीजी का एक-एक कमांडर वन मैन आर्मी होता है।
इसके कमांडो ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं। कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। ये एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं। SPG के जवान हाई ग्रेड बुलेटप्रूफ वेस्ट पहने होते हैं, जो लेवल-3 केवलर की होती है। इसका वजन 2.2 किग्रा होता है और यह 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकती है। साथी कमांडो से बात करने के लिए कान में लगे ईयर प्लग या फिर वॉकी-टॉकी का सहारा लेते हैं। यहां तक की इनके जूते भी काफी अलग होते हैं, ये किसी भी जमीन पर नहीं फिसलते। ये खास तरह के दस्ताने पहनते हैं। जिससे चोट से उनका बचाव होता है। ये कमांडोज चश्मा भी पहनते हैं, जो उनकी आखों को हमले से बचाते हैं और किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं।
एसपीजी सुरक्षा के कमांडो के पास एक स्पेशल ब्रीफकेस होता है। पर इसमें कपड़े या बारूद नहीं होता। ये ब्रीफकेस जैसा दिखने वाला एक पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड होता है। ये पूरी तरह खुल जाता है और रक्षा कवच का काम करता है। ये पर्सनल प्रोटेक्शन के लिए होता है। इसका काम ये है कि अगर कोई हमला हो जाए तो सुरक्षा कमांडो फ़ौरन इसे खोल कर वीआईपी को कवर कर लें। ये ब्रीफकेस उर्फ़ बैलेस्टिक शील्ड किसी भी तरह के हमले से सुरक्षा करने के लिए सक्षम होता है। इस ब्रीफकेस में एक गुप्त जेब भी होती है, जिसमें एक पिस्तौल होती है। आतंकी हमले के समय ये ब्रीफकेस एक सुरक्षा ढाल का काम करता है।