किसी सफर के लिए नहीं बल्कि पानी भरने के लिए ट्रेन से 14 किमी दूर जाते हैं इस गांव के बच्चे

मुकुंदवाडी (महाराष्ट्र). जब स्कूल के बाद बच्चे खेलने जाते हैं, उस वक्त साक्षी गरुड (9) उसका पड़ोसी सिद्धार्थ ढगे (10) कुछ बच्चों समेत पानी भरने के लिए ट्रेन से 14 किमी दूर पानी भरने के लिए जाते हैं। न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, यह मामला महाराष्ट्र के मुकुंदवाडी का है, जो कई सालों से सूखे की मार झेल रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2019 6:40 AM IST
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किसी सफर के लिए नहीं बल्कि पानी भरने के लिए ट्रेन से 14 किमी दूर जाते हैं इस गांव के बच्चे
जहां एक ओर देशभर में मानसून के चलते भारी बारिश हो रही है। यहां तक की देश के ज्यादातर हिस्से बाढ़ से पीड़ित हैं। वहीं, मुकुंदवाडी सूखे से ग्रसित है। यहां औसत से 14% कम बारिश हुई है। इसके चलते यहां बोरवेल, हैंडपंप सब सूख गए हैं।
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ढगे ने कहा कि वे पानी लाने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, लेकिन ऐसा करने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। वहीं, साक्षी बताती हैं कि यह उनकी प्रतिदिन की दिनचर्या हो गई है। इन बच्चों का घर स्टेशन से 200 मीटर दूर है। साक्षी ने बताया, स्कूल से वापस आकर पहले पानी लेने जाना पड़ता है। इसके चलते उन्हें खेलने तक का भी वक्त नहीं मिलता।
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ब्रिटिश संस्था वाटरएड के मुताबिक, लाखों भारतीय पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 12 फीसदी लोगों के पास साफ पानी की सुविधा नहीं है। यह संख्या करीब 16.3 करोड़ है। यह किसी भी देश में पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों की सबसे बड़ी संख्या है। पीएम मोदी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया है कि भारत सरकार इस समस्या के निपटारे के लिए 4 साल में 3.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।
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साक्षी के घर के आसपास 100 से ज्यादा ऐसे घर हैं, जिनमें पानी की सप्लाई नहीं आती। इसके लिए इन लोगों को प्राइवेट सप्लाई करने वालों पर निर्भर रहना पड़ता है। इन लोगों को 5000 लीटर पानी के टैंक के लिए 3000 रुपए तक देना होता है। लेकिन साक्षी और सिद्धार्थ के जैसे यहां कई परिवार हैं जो पानी के लिए इतनी कीमत नहीं चुका सकते।
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सिद्धार्थ के पिता मजदूरी करते हैं, वे बताते हैं कि उनकी आमदनी इतनी नहीं है कि वे अन्य लोगों की तरह पानी खरीद सकें, क्योंकि उन्हें हर रोज काम नहीं मिलता।
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