रूस की कोरोना वैक्सीन के फिर से दिखे साइड इफेक्ट्स, भारत में आनी थी करोड़ों डोज

मॉस्को. कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर के देश परेशान हैं। इसकी वजह से देशों की अर्थव्यवस्था भी डगमगा गई है। ऐसे में इस महामारी से निजात पाने के लिए दुनियाभर के सैकड़ों देश वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। रूस जैसे देश इसके अंतिम चरण के ट्रायल पर भी पहुंच चुके हैं। ऐसे रूस की कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) Sputnik V एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। वैक्सीन लेने वाले हर सात में से एक वॉलंटियर में इसके साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। ये खुलासा खुद रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2020 8:37 AM IST / Updated: Oct 04 2020, 02:20 PM IST

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रूस की कोरोना वैक्सीन के फिर से दिखे साइड इफेक्ट्स, भारत में आनी थी करोड़ों डोज

मुराश्को ने मॉस्को हाल ही में दिए अपने एक बयान में कहा कि 'वैक्सीन लेने वाले करीब 14 फीसदी लोगों में इसके साइड इफेक्ट देखे गए हैं।' (russian vaccine side effects) मीडिया रिपोर्ट्स में रूस के स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से बताया जा रहा है कि हर सात में से एक व्यक्ति ने कोरोना वायरस की वैक्सीन लेने के बाद कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द जैसे साइड इफेक्ट की शिकायत की। 

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हालांकि, मुराश्को का कहना है कि इन साइड इफेक्ट के मामले की पहले से ही जानकारी थी और ये अगले दिन ही ठीक हो गए थे। इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के शुरूआती नतीजे 4 सितंबर को द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित किए गए थे। 76 लोगों को ये वैक्सीन दो भाग में दी गई थी। नतीजों में पाया गया कि Sputnik V पूरी तरह सुरक्षित है और  21 दिनों में वॉलंटियर्स के शरीर में इससे बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के एंटीबॉडी बनी है। 

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हालांकि, 'द लैंसेट' में वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में भी बताया गया था। इसके अनुसार, साइड इफेक्ट में 58 फीसदी लोगों नें इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर दर्द की शिकायत की। वहीं, 50 प्रतिशत लोगों ने तेज बुखार, 42 फीसदी लोगों ने सिर दर्द, 28 फीसदी लोगों ने कमजोरी और 24 फीसदी लोगों ने मांसपेशियों में दर्द की शिकायत की थी।

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विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स की हवाले से कहा जा रहा है कि वैक्सीन लेने के 42 दिनों के अंदर वॉलंटियर्स में देखे गए लक्षण बहुत मामूली थे और उनमें कोई गंभीर साइड इफेक्टस् नहीं पाए गए थे। स्टडी के लेखकों का कहना है कि ये ऐसे साइड इफेक्ट हर वैक्सीन के बाद देखे जाते हैं। कुछ ही दिन पहले 50 वैज्ञानिकों ने रूस की वैक्सीन की सुरक्षा पर संदेह खड़े करते हुए लैंसेट मैगजीन को एक खुली चिठ्ठी लिखी थी। इसके बाद मैगजीन ने स्टडी के लेखकों से वैज्ञानिकों के सवालों का जवाब देने के लिए कहा था।

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इसके साथ ही भारत में लोगों के लिए रूस की वैक्सीन को लेकर बातचीत लगातार हो रही है। वहीं, कुछ दिनों पहले रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फेंड  (RDIF) ने भारतीय कंपनी डॉक्टर रेड्डी को 10 करोड़ वैक्सीन डोज देने के लिए करार साइन किया था। 

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बताया जा रहा है कि वैक्सीन सप्लाई की ये प्रक्रिया ट्रायल पूरा होने के बाद साल के अंत तक शुरू की जाएगी। इस वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले भारत में भी लोगों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा। 

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बता दें कि 11 अगस्त को रूस के गामालेया साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने Sputnik V वैक्सीन लॉन्च की थी। लॉन्चिंग के बाद से ही ये वैक्सीन विवादों के घेरे में आ गई है। वैक्सीन की तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ, जिसे लेकर कई देश पहले ही इसकी सुरक्षा पर सवाल उठा चुके हैं।

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