क्या है मरकज तब्लीगी जमात, जिसके एक कार्यक्रम के बाद पूरे देश पर मंडरा रहा कोरोना का संकट

नई दिल्ली. कोरोना को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है। ऐसे में सोमवार को एक खबर आई, जिसने देशभर को चिंता में डाल दिया। दरअसल, तेलंगाना में सोमवार को 6 लोगों की मौत हुई थी। जब पता चला कि ये सब दिल्ली में आयोजित एक बड़े धार्मिक कार्यक्रम से लौटे थे, तो हड़कंप मच गया। अब सरकार इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों की तलाश में जुट गई है। जिस जगह पर तब्लीगी जमात के मरकज का कार्यक्रम हुआ था, वहां करीब 200 लोगों के संक्रमित होने की आशंका है। अभी तक 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जबकि 1000 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह तब्लीगी जमात का मरकज है क्या?

Asianet News Hindi | Published : Mar 31, 2020 6:23 AM IST / Updated: Mar 31 2020, 02:02 PM IST
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क्या है मरकज तब्लीगी जमात, जिसके एक कार्यक्रम के बाद पूरे देश पर मंडरा रहा कोरोना का संकट
इसके बाद यहां आनन फानन में प्रशासन का अमला पहुंचा और जिस मस्जिद में कार्यक्रम हुआ था, वहां करीब 200 लोगों के संक्रमित होने की आशंका है। अभी तक 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जबकि 1000 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है।
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कब हुआ था कार्यक्रम: दरअसल, यहां 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात के मरकज में 5 हजार लोग आए। इसमें बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन के नागरिक भी शामिल थे। 22 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के बाद भी यहां 2000 लोग ठहरे हुए थे। अब इनमें से 200 लोगों को संक्रमण की आशंका है।
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मरकज तब्लीगी जमात क्या है?: मरकज तब्लीगी जमात में तीन शब्द हैं। मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह, तब्लीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला और जमात का मतलब है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार प्रसार करने वाला समूह। तब्लीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं।
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तब्लीगी जमात की शुरुआत इस उद्देश्य के लिए की गई थी कि मुसलमानों को धर्म में बनाए रखा जाए और इस्लाम का प्रचार-प्रसार और उसके बारे में जानकारी दी जा सके।
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मीडिया रिपोर्ट को माने तो इस जमात के करीब 15 करोड़ सदस्य दुनियाभर में हैं। 20वीं सदी में इस जमात को सबसे बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।
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भारत में कब हुई शुरुआत? : भारत में यह जमात 1927 में शुरू हुई। मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने इसकी शुरुआत की। एशिया में इसे मानने वाले लोग सबसे ज्यादा हैं। भारत में पहली बार यह हरियाणा के नूंह जिले में इस जमात की शुरुआत हुई। दिल्ली के निजामुद्दीन में इसका मुख्यालय है।
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इस जमात की पहली मीटिंग 1941 में हुई थी। 1927 में बने इस जमात को पहली मीटिंग करने में 14 साल लगे। पहली मीटिंग में करीब 25 हजार लोग इकट्ठा हुए। धीरे धीरे इस जमात से दुनिया के कई देशों के मुस्लिम शामिल होने लगे और हर साल इसका कार्यक्रम होने लगा।
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इस जमात की सबसे बड़ी मीटिंग बांग्लादेश में होती है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान में भी इसका आयोजन होता है। इस जमात के सालाना कार्यक्रम में दुनिया के कई देशों के मुस्लिम शामिल होते हैं।
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