जनता कर्फ्यू को शाहीन बाग का समर्थन, प्रदर्शनकारियों ने जगह पर रखीं चप्पलें, रात 9 बजे फिर शुरू होगा
नई दिल्ली. शाहीनबाग में नागरिकता कानून और एनआरसी के धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों ने जनता कर्फ्यू को समर्थन दिया है। कोरोना वायरस के चलते यहां सिर्फ 5 महिलाएं प्रदर्शन पर बैठी हैं। कुछ महिलाओं ने अपनी जगहों पर सांकेतिक तौर पर चप्पलें रखी हैं। शाहीन बाग में नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में पिछले साल 15 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी प्रदर्शन में शामिल हैं।
कोरोनावायरस के चलते दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई है। ऐसे में सिर्फ 5 प्रदर्शनकारी महिलाएं धरने पर बैठी हैं। महिलाएं सुरक्षा के सारे उपाय कर रही हैं।
इससे पहले शनिवार को पुलिस ने शाहीनबाग में बैठे प्रदर्शनकारियों के साथ बैठक की थी। पुलिस ने कोरोना के चलते महिलाओं से धरना खत्म करने के लिए कहा था। हालांकि, महिलाओं ने इससे इनकार कर दिया। लेकिन महिलाएं रविवार रात 9 बजे तक प्रदर्शन में शामिल ना होने के लिए तैयार हो गई हैं।
पीएम मोदी ने कोरोनावायरस के चलते 22 मार्च यानी रविवार को जनता कर्फ्यू की अपील की थी। उन्होंने लोगों से सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लोगों से घर पर रहने के लिए कहा था।
साथ ही पीएम मोदी ने लोगों से रविवार शाम 5 बजे घर की छत, बालकनी, खिड़कियों पर खड़े होकर ताली या घंटी बजाने की अपील की, जिससे कोरोना से जंग में डटे डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मी और मीडिया का उत्साहवर्धन करने के लिए कहा।
शाहीन बाग में पोस्टर लगाए गए हैं। इनमें लिखा गया है, धरना जारी है। एंट्री 9 बजे के बाद होगी। धरने में सहयोग दें।
इस तरह के पोस्टर शाहीन बाग के प्रदर्शनस्थल के आसपास चारों तरफ लगाए गए हैं।
दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन चल रहा हैं। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं 15 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन में बैठीं है। इस प्रदर्शन में बच्चे भी शामिल हैं।
प्रदर्शन के चलते सड़क खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कई गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकार भी नियुक्त किए थे। हालांकि, उससे कोई समाधान नहीं निकला। अभी भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
भारत में पिछले साल के आखिरी में नागरिकता कानून पास हुआ था, इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले प्रताड़ित हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, जैन और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
इस कानून के विरोध में भारत के कई इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। उत्तर प्रदेश, प बंगाल, असम, दिल्ली में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को भी मिले।