कश्मीर में बच्चे नहीं ले पा रहे थे ऑनलाइन क्लासेस तो खुले आसमान को ही बना लिया स्कूल, PHOTOS

श्रीनगर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लागू किया था। इस बीच स्कूल, कॉलेज और सभी कामकाजों को बंद कर दिया गया था। अब देशभर में अनलॉक की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। लेकिन, अभी तक स्कूल और कॉलेज को खोलने के लिए आदेश जारी नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन की शुरू कर दी गई है। ऐसे में कश्मीर की वादियों से स्कूली बच्चों की कुछ फोटोज सामने आई है। इसमें वो स्कूल बंद होने के कारण खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करते दिखाई दे रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2020 7:33 AM IST
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कश्मीर में बच्चे नहीं ले पा रहे थे ऑनलाइन क्लासेस तो खुले आसमान को ही बना लिया स्कूल, PHOTOS

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर के बड़गाम जिले के दूधपथरी में बच्चे हर सुबह पहाड़ों के बीच और खुले आसमान के नीचे क्लासरूम बनाए हुए हैं। महीनों के लॉकडाउन के बाद कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए ये आउटडोर स्कूल माता-पिता और बच्चों के लिए एक राहत की जगह है।  

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रिपोर्ट्स की मानें तो कश्मीर में अब तक 19 हजार कोरोना संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं और 365 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। एक बच्चे के पिता ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि ये बहुत अच्छा है कि उनके बच्चे फिर से स्कूल जाने लग गए, क्योंकि वो घर में रहकर परेशान होने लगे थे। 

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कश्मीर एक ऐसी वादी है, जहां लोग अक्सर घूमने जाना पसंद करते हैं। कश्मीर की वादियों में एक वादी दूधपथरी को भी माना जाता है। इस जगह को हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता है। यहां पर टूरिस्ट समर वकेशन पर आते थे। 

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बच्चों की क्लासेस शुरू करने के साथ ही उनकी सेफ्टी का भी ख्याल रखा गया है। जोनल एजुकेशन ऑफिसर मोहम्मद रमजान वानी का कहना है कि उन्होंने बच्चों की क्लासेस में सोशल डिस्टेंसिंग का बराबर ध्यान रखा है। उनकी मदद से ही कम्यूनिटी स्कूल वादी में शुरू किया जा सका है।

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जोनल एजुकेशन ऑफिसर बताते हैं कि मानसून से बचने के लिए उन्होंने बच्चों के लिए कुछ टेंटों का भी इंतेजाम किया है। जिससे पढ़ाई में किसी तरह की कोई बाधा ना सके।

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जबकि, पूरे देश में ऑनलाइन क्लासेस के जरिए बच्चे अपने घरों में पढ़ रहे हैं। लेकिन, भारत में कई ऐसी जगहें जहां पर गरीबी के कारण वो ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले सकते हैं। ऐसे में कश्मीर में बच्चों को शिक्षा देने का ये तरीका सबसे बेहतर माना जा रहा है। 

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