न ही इंजेक्शन और न ही पोलियो ड्रॉप की तरह...जान लें, आपको कैसे दी जाएगी कोरोना वैक्सीन?

नई दिल्ली. कोरोना महामारी से दुनियाभर के देश परेशान हैं। सैकड़ों देश इससे बचने के लिए वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। ऐसे में देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बन रही वैक्सीन कोरोफ्लू को और ताकतवर बनाने के लिए भारत बायोटेक कंपनी ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से समझौता किया है। इस वैक्सीन को लेकर खास बात ये बताई जा रही है कि इसे इंजेक्शन के जरिए अपने शरीर में नहीं लगाएंगे और ना ही इसे पोलियो ड्रॉप के जैसे पीना होगा। इसे किसी और तरीके से अपने शरीर के अंगर पहुंचाया जाएगा। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2020 7:50 AM IST
17
न ही इंजेक्शन और न ही पोलियो ड्रॉप की तरह...जान लें, आपको कैसे दी जाएगी कोरोना वैक्सीन?

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कोरोफ्लू (Coroflu) नाम की वैक्सीन विकसित कर रहा है। कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को लेने के लिए किसी भी प्रकार की सीरिंज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बस इस वैक्सीन की एक बूंद को पीड़ित इंसान की नाक में डाला डाएगा। भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन को अमेरिका, जापान और यूरोप में बांटने के लिए सभी जरूरी अधिकार प्राप्त कर लिए हैं। 

27

इस वैक्सीन का पूरा नाम कोरोफ्लूः वन ड्रॉप कोविड-19 नेसल वैक्सीन बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कंपनी का दावा कर रही है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। क्योंकि इससे पहले भी फ्लू के लिए बनाई गई दवाइयां सुरक्षित थीं। इस वैक्सीन का फेज-1 ट्रायल अमेरिका के सेंट लुईस यूनिवर्सिटी वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवैल्यूएशन यूनिट में होगा। अगर भारत बायोटेक को जरूरी अनुमति और अधिकार मिलता है तो वह इसका ट्रायल हैदराबाद के जीनोम वैली में भी करेगी।

37

इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला के हवाले से बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाई जाएगी, ताकि एक ही डोज में 100 करोड़ लोग कोरोना वायरस जैसी महामारी से बच सकें। इस वैक्सीन की वजह से सुई, सीरींज आदि का खर्च नहीं आएगा। इसकी वजह से वैक्सीन की कीमत भी कम होगी। इसका ट्रायल चूहों पर किया गया और इसके परिणाम भी ठीक आए हैं। इसकी रिपोर्ट प्रसिद्ध साइंस जर्नल सेल और नेचर मैगजीन में भी छपी है।

47

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और बायोलॉजिक थेराप्यूटिक्स सेंटर के निदेशक डॉ. डेविड टी क्यूरिएल के हवाले से कहा जा रहा है कि नाक से डाली जाने वाली वैक्सीन आम टीकों से बेहतर होती है। यह वायरस पर उस जगह से ही हमला करने लगती है, जहां से वह प्राथमिक तौर पर ही नुकसान पहुंचाना शुरू करता है। यानी, शुरुआत में ही वायरस को रोकने का काम शुरू हो जाता है। कोरोफ्लू विश्व विख्यात फ्लू की दवाई एम2एसआर के बेस पर बनाई जा रही है। इसे योशिहिरो कावाओका और गैब्रिएल न्यूमैन ने मिलकर बनाया था। 

57

एम2एसआर इनफ्लूएंजा बीमारी की एक ताकतवर दवा है। बताया जा रहा है कि जब यह दवा शरीर में जाती है तो वह तत्काल शरीर में फ्लू के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाती है। इस बार योशिहिरो कावाओका ने एम2एसआर दवा के अंदर कोरोना वायरस कोविड-19 का जीन सीक्वेंस मिला दिया है। एम2एसआर बेस पर बनने वाली कोरोफ्लू दवा में कोविड-19 का जीन सीक्वेंस मिलाने से अब यह दवा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जब यह वैक्सीन आपके शरीर में डाली जाएगी तब आपके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाएंगे। कोरोफ्लू की वजह से बने एंटीबॉडी कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करेंगे।
 

67

कंपनी इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल साल 2020 के अंत तक करना शुरू करेगी। तब तक इसके परीक्षण यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन की प्रयोगशाला में चलते रहेंगे। एम2एसआर फ्लू का वायरस है, जिसमें एम2 जीन की कमी होती है। इसकी वजह से कोई भी वायरस शरीर के अंदर कोशिकाओं को तोड़कर नए वायरस नहीं बना पाता है, इसलिए यह दवा का आधार सफल रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंपीरियल कॉलेज और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी नाक के म्यूकस के जरिए कोविड-19 को खत्म करने के लिए नेसल वैक्सीन यानी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन भी बना रहे हैं। इस समय पूरी दुनिया में अमेरिका, कनाडा, नीदरलैंड्स, फिनलैंड्स और भारत में नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन बनाई जा रही है। इन पांचों देश में पांच दवा कंपनियां हैं, जो नेसल वैक्सीन बना रही हैं।

77

कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के वैज्ञानिकों ने डीएनए बेस्ड वैक्सीन बनाई है। नीदरलैंड्स में वैजेनिंजेन, बायोवेटरीनरी रिसर्च और यूट्रेच यूनिवर्सिटी ने मिलकर इंट्रावैक नेसल वैक्सीन बनाई है। इसके अलावा अमेरिका की अल्टीइम्यून नाम की दवा कंपनी एडकोविड नेसल वैक्सीन बना रही है। फिनलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी ने भी नेसल वैक्सीन बनाई है। 
 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos