अच्छी खबर: कमजोर हो रहा कोरोना, अब इस तरह जल्द होगा खात्मा, वैज्ञानिकों ने बनाई प्लानिंग

नई दिल्ली. चीन के वुहान से दुनियाभर में फैला कोरोना वायरस आज कई देशों में तबाही का कारण बना हुआ है। देश और दुनिया के लोग जल्द ही इस महामीरा से निजात पाना चाहते हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर काबू पाने के लिए इसकी वैक्सीन बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। पिछली कई रिसर्च में कोरोना वायरस को 'बहरूपिया' कहा जा चुका है, क्योंकि अबतक इसने तेजी से अपना रूप बदला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कहा जा रहा है कि कोरोना के अबतक 24 रूप यानी स्ट्रेन सामने आ चुके हैं। इसके रूप बदलने के कारण भी यह वैक्सीन बनाने की राह में ये बड़ी चुनौती बन रहा था। हालांकि, अब इसकी म्यूटेशन की दर धीमी हो गई है। ऐसे में बताया जा रहा है कि अब पहले से और अच्छी वैक्सीन तैयार की जा सकती है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 14, 2020 7:00 AM IST / Updated: Jun 14 2020, 12:54 PM IST
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अच्छी खबर: कमजोर हो रहा कोरोना, अब इस तरह जल्द होगा खात्मा, वैज्ञानिकों ने बनाई प्लानिंग

अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है कि कोरोना वायरस के रूप बदलने की दर (म्यूटेशन रेट) धीमी हो गई है। रूप बदलता कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों के लिए उससे निपटने में चुनौती की तरह था, लेकिन अब म्यूटेशन दर धीमी होने से यह एक तरह से कमजोर हुआ है, इसलिए अब बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है।

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जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से 20 हजार से अधिक कोरोना सैंपलों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया गया कि कोरोना वायरस के सबसे बड़े हथियार समझे जाने वाले स्पाइक प्रोटीन में अब बदलाव नहीं हो रहा है। मालूम हो कि अबतक कोरोना के 24 स्ट्रेन सामने आ चुके हैं। 


 

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दुनिया के कई विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस समय वैक्सीन तैयार कर ली जाती  तो इसकी एक डोज कई सालों तक इंसानों को संक्रमण से बचाएगी। जॉन हॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स लैब के मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट डॉ. पीटर थीलेन का कहना है कि पिछले साल के अंत से लेकर अब कोरोना वायरस में जेनेटिक बदलाव हुए हैं।
 

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डॉ. पीटर थीलेन का कहना है कि कोरोना वायरस अब लगभग स्टेबल यानी स्थिर है और यह समय वैक्सीन तैयार करने के लिए बेहतरीन समय है। इस समय कोरोना वायरस के आरएनए को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

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डॉ. पीटर का कहना है कि अमेरिका में कोरोना वायरस के जिस स्ट्रेन की पहचान की गई थी, वह चीन के वुहान में संक्रमण फैलाने वाले वायरस से मिलता था। इस समय जो वैक्सीन तैयार होगी, वह शुरुआत में फैले कोरोना वायरस के साथ म्यूटेशन के बाद वाले कोरोना वायरस पर भी असरदार साबित होगी।


 

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कोरोना संकट के बीच लोगों का आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक स्थिति सामान्य नहीं हो पाएगी। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ डॉ. विंसटन टिंप का कहना है कि बिना वैक्सीन के सामान्य जीवन में लौटना संभव नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि वायरस के म्यूटेशन की गति धीमी होने का मतलब है कि इस समय तैयार वैक्सीन के सफल होने की संभावना ज्यादा है। 

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डॉ. विंसटन का कहना है कि शोध में सबसे ज्यादा फोकस कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर किया जा रहा है। यही स्पाइक प्रोटीन सबसे अहम है, जो इंसानी कोशिकाओं में संक्रमण की वजह बनता है। अगर वैक्सीन इसे ब्लॉक करने में कामयाब हो जाती है, तो वह बहुत असरदार साबित होगी। 

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वहीं, भारत में कोरोना वैक्सीन की प्रगति की बात की जाए तो प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन के मुताबिक, वैक्सीन कंपनियां शोध और विकास कार्य में भी लगी हैं। देश में 30 ग्रुप ऐसे हैं, जो वैक्सीन बनाने के लिए आगे आए हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक, 14 तरह की वैक्सीन पर काम हो रहा है, जिनमें से चार के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। वहीं, कोरोना की वैक्सीन के लिए एक और भारतीय कंपनी Panacea Biotech ने अमेरिका की अर्ली स्टेज लाइफ साइंसेज कंपनी Refana के साथ साझेदारी की है। भारत बायोटेक और सीरम इंडिया से बड़ी उम्मीद है।

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