किसी की 10 दिन पहले हुए थी शादी,कोई मजदूरी कर पालता था पेट;दंगे की आग ने लील ली इन 30 लोगों की जान
नई दिल्ली. संशोधित नागरिकता को लेकर उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है। तीन दिनों तक हुए भीषण हिंसा के बाद से धधक रही दंगे की आग अब शांत हो गई है। जिसके बाद से इसके राज से पर्दा उठता ही जा रहा है। मरने वालों में से अब तक 30 लोगों की पहचान की जा चुकी है। चिन्हित किए गए ये 30 लोग वो हैं, दिल्ली में सुलगी नफरत की आग में बिना किसी कसूर के जलकर खाक हो गए। कोई मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था, तो कोई पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बनने के सपने संजोए हुए था। कोई दिनभर नौकरी कर अपने बच्चों के पास लौट रहा था। सब के सब हिंसा की आग में झूलस कर अपनों से हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गए। आइए जानते ही हिंसा मरने वाले कौन हैं ये लोग और क्या करते थे...
Asianet News Hindi | Published : Feb 29, 2020 9:07 AM IST / Updated: Feb 29 2020, 03:17 PM IST
मुशर्रफ : पेशे से ड्राइवर बदायूं के 35 वर्षीय मुशर्रफ का शव नाले से बरामद हुआ। कर्दमपुरी में पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। मुशर्रफ की पत्नी मल्लिका के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। (फोटो- रोते बिलखते मुशर्रफ के धरवाले)
अश्फाक हुसैन: 22 साल के अश्फाक की दंगे से 10 दिन पहले यानी 11 फरवरी को शादी हुई थी। पेशे से इलेक्ट्रिशियन अश्फाक के पेट में पांच गोलियां मार कर दंगाईयों ने दर्दनाक मौत दे दी है। (फोटो-अश्फाक के परिजन)
राहुल ठाकुरः सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा राहुल ठाकुर परिवार में सबसे छोटा है। दंगाईयों ने राहुल की छाती में गोली मारी थी। घटना के बाद एंबुलेंस नहीं मिली तो 23 साल के राहुल को स्कूटी पर बैठाकर डॉक्टर के पास ले जाया गया। लेकिन अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया। (फोटो- अपनों को खोने के बाद रोते हुए परिजन, जीटीबी अस्पताल के बाहर की तस्वीर)
मुबारक अली : 35 साल के मुबारक अली पेंटिंग का काम कर अपने परिवार का पेट पालते थे। दंगे वाले दिन भजनपुरा में काम के बाद घर के लिए रवाना हुए, लेकिन घर नहीं पहुंचे। हिंसा के दिन से ही मुबारक को उनके परिवार वाले तलाशते रहे। लेकिन बाद में मौत की सूचना मिली। बताया जा रहा कि मुबारक अली की दो बेटियां और एक बेटा है। (फोटो- मुबारक अली के परिजन)
अनवर : शिव विहार में रहने वाले 58 साल के अनवर का पोल्ट्री फॉर्म था। रिश्तेदारों के मुताबिक अनवर को इस कदर जला दिया गया था कि पहचानना भी मुश्किल हो गया था। पैर के निशान से पहचान की गई। (फोटो- अनवर की मौत के बाद उसके रोते-बिलखते उसके परिजन)
महरूफ अली : बिजली के सामान की दुकान करने वाले महरूफ के सिर में गोली लगी। बताया जा रहा कि महरूफ अपने दुकान से जरूरी सामान निकालने गए थे। जिसके बाद दंगाईयों ने सिर में दो गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। (फोटो- हिंसा के बाद अपनों की तलाश में गमजदा परिवार के सदस्य)
मुबारक अली : 35 साल के मुबारक अली पेंटिंग का काम कर अपने परिवार का पेट पालते थे। दंगे वाले दिन भजनपुरा में काम के बाद घर के लिए रवाना हुए, लेकिन घर नहीं पहुंचे। हिंसा के दिन से ही मुबारक को उनके परिवार वाले तलाशते रहे। लेकिन बाद में मौत की सूचना मिली। बताया जा रहा कि मुबारक अली की दो बेटियां और एक बेटा है। (फोटोः हिंसा के बाद मृतक का शव लेकर जाता हुआ शख्स)
आलोक तिवारी: 24 साल के आलोक तिवारी यूपी के हरदोई जिले के रहने वाला थे। जानकारी के मुताबिक आलोक गत्ते की फैक्टरी में काम करते थे। आलोक अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ करावल नगर में रहते थे। हिंसा की आग ने जब जोर पकड़ा तो अपनों ने आलोक की तलाश शुरू की। इस दौरान बड़े भाई को जीटीबी अस्पताल में उसका शव मिला। बड़े भाई को अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा है कि इतनी कम उम्र में उसका छोटा भाई दुनिया से चला गया। (फोटोः अपनों की खोज में परिजनों का बूरा हाल है, अभी भी 12 लोगों के शवों की पहचान नहीं हो सकी है।)
सुलेमान: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के रहने वाला सुलेमान दिल्ली आकर मोची का काम करता था। सोमवार को ही वह लापता हो गया। गुरुवार को उसके भाई को जीटीबी अस्पताल में उसका शव मिला। (फोटोः अपने परिवार के सदस्य के मौत की खबर पाकर रोते परिजन)
अकबरी : 85 साल की बुजुर्ग का घर दंगाइयों ने जला दिया। यह सदमा उन पर भारी पड़ा। जिसके कारण अकबरी ने दम तोड़ दिया। (फोटोः अपने बेटे की तलाश में पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।)
संजीत ठाकुर: खजूरी में पत्नी और दो बच्चों के साथ रहने वाला 32 साल का संजीत एक वेल्डिंग यूनिट में काम करता था। घर लौटते वक्त पत्थरबाजी में फंस गया। जिसके कारण उसकी मौत हो गई। (फोटोः दिल्ली हिंसा में अपने भाई की मौत की खबर पाकर रोता हुआ परिवार का सदस्य)
दिनेश कुमार : पेशे से ड्राइवर 35 साल का दिनेश 7-8 घंटे वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत से जंग लड़ता रहा। लेकिन गुरुवार सुबह उसने भी दम तोड़ दिया। बताया जा रहा कि दिनेश के शरीर का 80 फीसदी भाग बुरी तरह से जल गया चुका था। (फोटोः जीटीबी अस्पताल के बाहर मृतकों के शवों को ले जाया जाता हुआ।)
मोहम्मद इरफान : इरफान की मां के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं। 32 साल का इरफान मजदूरी कर बमुश्किल 8000 रुपए महीना कमाकर परिवार चलाता था। लेकिन दंगाईयों ने इरफान को भी अपनी नफरत की आग में ले लिया और उसको मौत के घाट उतार दिया। ( फोटोः दिल्ली हिंसा के दौरान तोड़फोड़ की तस्वीर)
आमिर और हाशिम: मुस्तफाबाद में रहने वाले आमिर (30) और हाशिम (17) बुधवार से ही लापता थे। गुरुवार को दोनों के शव अस्पताल में मिले। इन दोनों की मौत कैसे हुई है इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकी है। (फोटोः हिंसा के दौरान गाड़ियों में लगाई गई आग)
विनोद कुमार : अरविंद नगर निवासी 50 वर्षीय विनोद कुमार अपने बड़े बेटे नितिन के साथ घर लौट रहे थे तभी भीड़ ने हमला कर दिया। बेटा तो बच गया, लेकिन पिता को मार डाला और बाइक भी आग के हवाले कर दिया। (फोटोः दिल्ली हिंसा में घरों को आग के हवाले कर दिया गया)
वीर भान : 48 साल के वीरभान का करावल नगर में अपना कारोबार था। सोमवार को उनके सिर में गोली लगी। ( फोटोः हिंसा के दौरान दुकानों में तोड़फोड़ भी की गई थी।)
जाकिर: बृजपुरी निवासी 26 साल का जाकिर पेशे से वेल्डर था। भीड़ हिंसा में उसके सिर में गोली लगी और पेट में काफी चोटें आईं। (फोटोः अपनों के शव लेने पीएम हाउस पहुंचे परिजन)
इश्तियाक खान: वेल्डिंग मशीन बनाने वाला 24 इश्तियाक कृदमपुरी का रहने वाला था। परिवार में डेढ़ साल का बेटा है और तीन साल की बेटी। पेट में गोली लगने की वजह से मौत हुई। (फोटोः दिल्ली हिंसा के दौरान दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया)
दीपक कुमार: 34 साल का दीपक झिलमिल की एक निजी फैक्टरी में काम करता था। परिवार में पत्नी के अलावा बेटा और बेटी है। उसके सिर में गोली लगी थी। (फोटोः दिल्ली हिंसा के दौरान गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया)
राहुल सोलंकी: 26 साल का राहुल सिविल इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था। साथ ही निजी कंपनी में काम करता था। अप्रैल में बहन की शादी थी, लेकिन उससे पहले ही गोली लगने से वह मारा गया। ( फोटोः दिल्ली हिंसा के बाद सबूत जुटाती फोरेंसिक जांच टीम)
मोहम्मद शाहबाज: उम्र 22 साल थी। वह अपनी वेल्डिंग की दुकान को बंद कर लौट रहा था। मगर दंगाइयों ने उसे मारने के साथ उसकी दुकान भी फूंक दी। ( फोटोः हिंसा के बाद स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए आरएएफ द्वारा फ्लैगमार्च किया गया।)
परवेज आलम : घोंडा के रहने वाले 50 साल के परवेज का वजीराबाद में अपना मोटर गैराज था। मंगलवार को हुई हिंसा में उनके पेट में गोलियां लगीं। (फोटोः दंगाईयों ने घरों तक को आग के हवाले कर दिया था।)
महताब : 21 साल के महताब को मंगलवार को भीड़ ने मार डाला। शव पाने के लिए परिजनों को दो दिन तक इंतजार करना पड़ा। ( फोटोः दिल्ली हिंसा के बाद की स्थिति)
मोहम्मद फुरकान : यूपी से तालुक्क रखने वाला 32 साल का फुरकान शादी के डिब्बे डिजाइन करता था। (फोटोः दंगे के दौरान दंगाईयों ने कुछ भी नहीं छोड़ा)
रतन लाल : राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल थे। दंगाइयों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी जान गंवा दी। (फाइल फोटोः शहीद रत्नलाल अपने परिवार के संग)
अंकित शर्मा: 25 साल के अंकित आईबी में तैनात थे और काम से घर लौट रहे थे। इस दौरान दंगाईयों ने अंकित को निशाना बनाते हुए तलवार और चाकू से हमला किया। बताया जा रहा कि दंगाईयों ने 400 से अधिक बार अंकित के शरीर पर चाकू से गोंदा था। बाद में चांदबाग इलाके में नाले से अंकित का शव बरामद किया गया था। (फाइल फोटोः आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा)
मुद्दसिर खान : दो बच्चों का पिता ऑटो चलाकर परिवार का पेट भरता था। (फोटोः अपनों की तलाश में रोती बिलखती परिवार की महिला)
शाहिद अल्वी : ऑटो चलाने वाले शाहिद के पेट में गोलियां लगीं है। शाहिद की चार महीने पहले ही शादी हुई थी। लेकिन दंगाईयों ने उसे भी अपना शिकार बना लिया और उसकी मौत हो गई। (फोटोः सदस्य की मौत के बाद अपनों को ढांढस बधाते हुए परिवार के सदस्य)
अमन: कुछ वकीलों का कहना है कि सीलमपुर में अमन अपनी मां के साथ सीएए विरोधी धरने पर बैठा था। इस दौरान दंगाईयों ने उसे अपना शिकार बनाया। गंभीर चोट लगने पर अमन को लोकनायक अस्पताल लाया गया। लेकिन अमन को बचाया नहीं जा सका। (फोटोः शवगृह के बाहर अपने लोगों की तलाश में बैठे परिवार के सदस्य)
मोहम्मद यूसुफ : मुस्तफाबाद में 52 वर्षीय यूसुफ बढ़ई का काम करते थे। वह नोएडा से लौट रहे थे तभी भीड़ का शिकार हो गए।