हर पल दर्द सताता है दोस्ती अधूरी रह गई;काश, मैं उसे बचा पाता...कुछ ऐसा है निर्भया के दोस्त का दर्द

Published : Jan 22, 2020, 03:41 PM IST

नई दिल्ली. निर्भया कांड के सात साल बाद देश को उम्मीद जगी है कि दोषियों को अब 1 फरवरी को मौत दे दी जाएगी। इन सब के बीच एक बार फिर चर्चा ने जोर पकड़ ली है कि आखिर 16 दिसंबर 2012 को हुए इस घटना के दौरान निर्भया के साथ मौके पर मौजूद दोस्त अवनींद्र अभी कहां है? 

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हर पल दर्द सताता है दोस्ती अधूरी रह गई;काश, मैं उसे बचा पाता...कुछ ऐसा है निर्भया के दोस्त का दर्द
दरिंदों का सामना करने वाले अवनींद्र आज गुमनामी का जीवन जीने को मजबूर हैं। निर्भया के साथ मुश्किल के इस वक्त में हमलावरों का सामना करने वाले अवनींद्र के बारे में आज किसी को भी कोई जानकारी नहीं है। 16 दिसंबर की घटना के बाद कई दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद अवनींद्र अब किसी गुमनाम स्थान पर रहते हैं। परिवार गोरखपुर में रहता है। अवनींद्र के घर के लोग नहीं चाहते कि उनके बेटे के बारे में किसी को भी कोई जानकारी दी जाए। (फाइल फोट)
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अवनींद्र के पिता ने मीडिया से शुरुआती बातचीत के बाद जब 16 दिसंबर की उस वारदात पर बातचीत शुरू हुई तो वह भावुक हो गये। भानु प्रताप पांडेय ने कहा कि इस घटना को सात साल हो गये हैं। अब तो उनका बेटा दूसरी जिंदगी जी रहा है। अवनींद्र से इस हादसे के बाद इतने सवाल पूछे गए कि वह इससे आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इसलिए ये तय था कि अगर अवनींद्र दिल्ली या गोरखपुर रहता तो अपनी जिंदगी के लिए कुछ भी बेहतर नहीं कर सकता था, पर अब ऐसा नहीं है। (फाइल फोटो, निर्भया के दोस्त अवनींद्र)
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अवनींद्र महाराष्ट्र के पुणे में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, इन दिनों प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर विदेश में काम कर रहा है। निर्भया के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा बरकरार रहे और फांसी मिले उसकी हमेशा इच्छा रही है। (निर्भया के दोस्त की फाइल फोटो)
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निर्भया के बारे में अवनींद्र का कहना था कि, ‘हर पल एक दर्द सताता है कि दोस्ती अधूरी रह गई। दोस्त का हर पल साथ देने का वादा टूट गया। काश, मैं उसे बचा पाता। कहीं न कहीं दिल में हर पल अपराध बोध होता है कि राजधानी पहले जागी होती तो वो हमारे बीच होती।’
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अवनींद्र का मानना है, ‘इंसाफ मिला, पर अधूरा। हालांकि एक सुकून है कि कम से कम उसके बहाने ही सही देश के कानून में कुछ बदलाव व जनता में जागरूकता तो आई, लेकिन महज 5 से 10 फीसदी ही बदलाव आया है। गौरतलब है कि निर्भया के दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है। इससे पहले निर्भया के दोषी बचने की हर कोशिश कर रहे हैं। (निर्भया के चार दोषियों की फाइल फोटो)

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