प्राइवेट पार्ट में डाली रॉड, 4 जगहों पर दांत से काटा..इन्हीं सबूतों से निर्भया के दोषियों को मिलेगी मौत
नई दिल्ली. निर्भया केस में 6 में से 4 दोषी विनय, अक्षय, पवन और मुकेश को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे मौत दे दी जाएगी। 2 दोषियों में से एक राम सिंह ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। एक को नाबालिग होने पर 3 साल की सजा के बाद छोड़ दिया गया था। ऐसे में बताते हैं कि दिल्ली पुलिस ने 3 दिन के अंदर ही सभी आरोपियों को कैस पकड़ा और कोर्ट में कैसे साबित किया कि इन 6 आरोपियों ने ही निर्भया के साथ गैंगरेप किया।
Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 9:49 AM IST / Updated: Jan 24 2020, 06:12 PM IST
निर्भया के शरीर पर राम सिंह और अक्षय के दांत की निशान मिले थे। निशान का मिलान करने पर यह दोषियों के ही निकले। कोर्ट ने कहा कि विक्टिम के शरीर पर मिले काटने के निशान सस्पेक्ट के दांतों के स्ट्रक्चर से मिलाए गए। इसकी जांच में साबित होता है शरीर पर तीन निशान रामसिंह के काटने से और एक निशान अक्षय के काटने से बना था।
बस की लेजर स्कैनिंग, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जैसे एडवांस टेक्नोलॉजी से जांच की गई। जहां विनय के फिंगर प्रिंट के मिले। फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि यह साफ तौर पर घटना के वक्त विनय बस में मौजूद था।
निर्भया केस की जिम्मेदारी डीसीपी छाया शर्मा के पास थी। वह तीन दिनों तक घर नहीं गई थीं। छाया शर्मा की टीम का पूरा ध्यान गुनाहगारों को पकड़ने पर था, क्योंकि उन्हें पता था कि थोड़ी सी भी चूक हुई तो मामला हाथ से फिसल जाएगा। अपराधियों को पकड़ने के लिए छाया शर्मा ने 100 पुलिसकर्मियों की अगल-अलग टीमें बनाई गईं। केस के बाद छाया का ट्रांसफर मिजोरम कर दिया गया।
18 दिन में केस की चार्जशीट कोर्ट में सबमिट कर दी गई। सफदरजंग अस्पताल में निर्भया ने मजिस्ट्रेस्ट के सामने तीन बयान दिए, जिसमें उसने केस से जुड़ी अहम जानकारियां मिलीं। पुलिस को इनसे बहुत मदद मिली। 13 दिन बाद जब सिंगापुर के हॉस्पिटल में उसकी मौत हो गई तो इसे पीड़िता का आखिरी बयान माना गया।
हमें पता था कि ऐसी बस दिल्ली के बाहरी इलाके में खड़ी होगी। पूछताछ करते हुए हमने 18 घंटे के अंदर मुख्य आरोपी राम सिंह को पकड़ लिया। वह बस का ड्राइवर था। इसके बाद उसके भाई मुकेश को पकड़ा। बाकी 4 आरोपी भी जल्द ही गिरफ्त में आ गए।
बयान के आधार पर पता चला कि जिस बस में गैंगरेप हुआ है उसके सीटों का रंग लाल और उसपर पीला कवर चढ़ा हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी बस को बिना नंबर के खोजना आसान नहीं था। पुलिस टीम ने दिल्ली-एनसीआर की ऐसी 300 बसों को शॉर्टलिस्ट किया। वसंतकुंज के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। सिर्फ एक बस पर यादव नाम लिखा था। उसी के आधार पर पहचान हुई।