हम एक-एक कर पीछे गए, वह नहीं चिल्लाती तो बच जाती...इस घिनौनी सोच का है निर्भया का दोषी मुकेश

नई दिल्ली. निर्भया केस में चारों दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी। हालांकि अभी तीन दोषी के पास दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद एक बार फिर से फांसी की तारीख टल जाए। इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी देने की तारीख तय की थी, लेकिन उसे टाल दिया गया। इस दौरान बताते हैं कि पुलिस ने 72 घंटे के अंदर सभी 6 दोषियों को कैसे पकड़ा। इसके बाद जेल के अंदर दोषी मुकेश ने बताया था कि कैसे निर्भया के साथ दरिंदगी हुई। उसने कहा था कि मैंने 15-20 मिनट गाड़ी चलाई थी। लाइटें बंद कर दी थीं। मेरा भाई मेन था। उसी ने निर्भया के दोस्त को मारा। लड़की (निर्भया) चिल्लाती रही। बचाओ-बचाओ। हम उसे मारपीट कर पीछे ले गए। हम आ जा रहे थे। बारी-बारी से। लड़की विरोध नहीं करती तो उसकी जान नहीं जाती।

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 7:33 AM IST / Updated: Jan 24 2020, 06:11 PM IST
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हम एक-एक कर पीछे गए, वह नहीं चिल्लाती तो बच जाती...इस घिनौनी सोच का है निर्भया का दोषी मुकेश
निर्भया केस में कुल 6 दोषी थे, जिसमें से एक (मुख्य दोषी राम सिंह) ने जेल के अंदर ही आत्महत्या कर ली। एक को नाबालिग होने की वजह से 3 साल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। अभी चार दोषी मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी की सजा दी गई है। ऐसे में बताते हैं कि आखिरी कैसे 72 घंटे के अंदर दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों को पकड़ लिया था।
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निर्भया केस की जिम्मेदारी डीसीपी छाया शर्मा के पास थी। वह तीन दिनों तक घर नहीं गई थीं। छाया शर्मा की टीम का पूरा ध्यान गुनाहगारों को पकड़ने पर था, क्योंकि उन्हें पता था कि थोड़ी सी भी चूक हुई तो मामला हाथ से फिसल जाएगा।
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अपराधियों को पकड़ने के लिए छाया शर्मा ने 100 पुलिसकर्मियों की अगल-अलग टीमें बनाई गईं। केस के बाद छाया का ट्रांसफर मिजोरम कर दिया गया।
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छाया शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके सामने सबसे बड़ा चैलेंज अपराधियों को पहचानना था। निर्भया और उसका दोस्त उन्हें पहचानते नहीं थे।
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बयान के आधार पर पता चला कि जिस बस में गैंगरेप हुआ है उसके सीटों का रंग लाल और उसपर पीला कवर चढ़ा हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी बस को बिना नंबर के खोजना आसान नहीं था।
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पुलिस टीम ने दिल्ली-एनसीआर की ऐसी 300 बसों को शॉर्टलिस्ट किया। वसंतकुंज के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। सिर्फ एक बस पर यादव नाम लिखा था। उसी के आधार पर पहचान हुई।
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हमें पता था कि ऐसी बस दिल्ली के बाहरी इलाके में खड़ी होगी। पूछताछ करते हुए हमने 18 घंटे के अंदर मुख्य आरोपी राम सिंह को पकड़ लिया। वह बस का ड्राइवर था। इसके बाद उसके भाई मुकेश को पकड़ा। बाकी 4 आरोपी भी जल्द ही गिरफ्त में आ गए।
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18 दिन में केस की चार्जशीट कोर्ट में सबमिट कर दी गई। सफदरजंग अस्पताल में निर्भया ने मजिस्ट्रेस्ट के सामने तीन बयान दिए, जिसमें उसने केस से जुड़ी अहम जानकारियां मिलीं। पुलिस को इनसे बहुत मदद मिली। 13 दिन बाद जब सिंगापुर के हॉस्पिटल में उसकी मौत हो गई तो इसे पीड़िता का आखिरी बयान माना गया।
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आईपीएस छाया शर्मा ने इंटरव्यू में बताया कि घटना के बाद जब वह निर्भया से मिलने अस्पताल गईं तो उसने एक ही बात कही, मेरे साथ ऐसा करने वालों को छोड़ना मत।
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