छूने से हो सकती है मौत, फिर भी फर्ज के आगे सबकुछ न्यौछावर कर दिया, ऐसी है डॉक्टर्स की इमोशनल कहानी
नई दिल्ली. देश के 32 राज्यों में कोरोना का प्रकोप जारी है। देश में संक्रमण का आंकड़ा 4900 तक पहुंच गया है। जबकि 131 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस का खतरा कितना बड़ा है, इसका कहर देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश और दुनिया के लिए कोरोना कितना बड़ा संकट बन कर उभरा है। इन सब के बीच डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, प्रशासन और सरकार कोरोना को मात देने के लिए जी जान से जुटे हैं।
डॉक्टर मरीजों को बचाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। अक्सर डॉक्टर और नर्स की मार्मिक तस्वीरें सामने आती हैं। कोई डॉक्टर 10 दिन से अपने परिवार से नहीं मिल रहा तो कोई डॉक्टर संक्रमित मरीजों को बचाने के लिए घर ही नहीं जा रहा है। इन सब के बीच दिल्ली एम्स में तैनात डॉक्टरों की कहानी सामने आई है।
कोरोना से जारी जंग के बीच हालात यह है कि किसी डॉक्टर का भरा-पूरा परिवार है जिससे वो हफ्तों से नहीं मिला, कोई कुंआरा है और घर पर उसके मां-बाप उसकी चिंता में व्याकुल हैं। खतरा भी दोतरफा है। एक तरफ, लगातार संक्रमित बीमारी से जूझ रहे शरीरों के संपर्क में रहना और दूसरा कई जगहों पर डॉक्टर और नर्सों पर हमला भी हो रहा है।
परिवार से बात करने में डर लगता हैः दिल्ली का एम्स लगातार कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में लगा हुआ है। सीनियर तो सीनियर, यहां के जूनियर डॉक्टर्स दिन-रात एक कर मरीजों को ठीक करने की कोशिश में हैं। खुद अपने परिवार से बात करने का वक्त नहीं है मगर मरीजों की खबर जरूर लेते रहते हैं।
डॉ. अम्बिका AIIMS के COVID-19 ट्रीटमेंट वार्ड में तैनात हैं। बात करते-करते उनका गला रुंध जाता है। डॉ. अम्बिका कहती हैं, 'जब आप अपने घरवालों से बात करते हैं तो आपको भी डर होता है क्योंकि दोनों तरफ से कभी कुछ भी हो सकता है। हो सकता है वो बीमार पड़ जाएं और आप उनकी केयर ना कर पाएं। उस बात का गिल्ट आप कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
डॉ. अम्बिका की आंखों में आंसू आ जाते हैं। मगर इसके बाद वो बेहद जरूरी बात कहती हैं। उनका ये मैसेज सिर्फ उनके माता-पिता तक नहीं, भारत के हर इंसान तक पहुंचना चाहिए जिसे यह एहसास नहीं कि फ्रंटलाइन पर मौजूद डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स कैसे मेंटल ट्रॉमा के बीच काम कर रहे हैं। डॉ. अम्बिका बताती हैं, 'मेरा परिवार वैसा परिवार है जो खुद को बड़ा मजबूत होने की कोशिश करता है। अब भी जब वो कॉल करते हैं तो कभी नहीं कहते कि वापस आ जाओ। छोड़ दो, क्या रखा है इन सबमे। जान सबसे पहले है। ऐसा कभी मैंने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं सुना।'
बड़े कठिन हालात में कर रहे ड्यूटीः दिल्ली एम्स के डॉ. पवन कहते हैं, 'कोरोना के वक्त भी रेजिडेंट डॉक्टर्स को खासा स्ट्रेस रह रहा है। ये डर होता है कि गलती से हम इन्फेक्शन लेकर चले गए तो फिर घरवालों को भी हो जाएगा।' उन्होंने कहा, 'अभी तो स्टार्ट है। सबको बड़ा सावधान रहना होगा।
केसेज बढ़ना स्टार्ट होंगे तो अभी जितने इक्विपमेंट्स मिल रहे हैं, उतने भी नहीं मिल पाएंगे। हमें गाइडलाइंस का ध्यान रखना है।'
मां मुझे वॉयस नोट्स भेजकर हालचाल पूछती हैः एम्स के ही डॉ. अमनदीप ने कहा, 'मेरी मां मुझसे बार-बार यही कहती हैं कि मरीजों की सेवा करता रहूं। वह मुझे वॉयस नोट्स भेजकर मेरा हाल पूछती हैं। बड़ा भावुक हो जाता हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि घरों में ही रहें, तभी हम COVID-19 को हरा पाएंगे।'