दरअसल, उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद गैंगस्टर विकास दुबे कैमरे के सामने चिल्ला-चिलाकर कह रहा था कि 'मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं।' इसके जरिए उसने यह जताने की कोशिश की थी कि वह जिंदा पकड़ा गया है। कानपुर कांड के बाद यूपी में लगातार उसके सहयोगियों का एनकाउंटर हो रहा था। साथियों के एनकाउंटर की वजह से विकास दुबे के मन में भी यह डर बैठा हुआ था कि एसटीएफ की टीम उसे भी नहीं छोड़ेगी। ऐसे में गिरफ्तारी के बाद उज्जैन पुलिस की टीम जब उसे यूपी पुलिस के हवाले करने जा रही थी, तो वह ऐसा करने से बार-बार मना कर रहा था।