फांसी चढ़ाना पाप होगा...यह कहते हुए जज ने नहीं तय की निर्भया के दोषियों के मौत की तारीख

नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए देश पिछले सात सालों से इंकार कर रहा है। निर्भया के परिजन लगातार कोर्ट की चक्कर काट रहे हैं। इन सब के बीच दो बार डेथ वारंट टलने के बाद तिहाड़ जेल ने पटियाला हाउस कोर्ट में नई तारीख के लिए याचिका दाखिल की थी। लेकिन शुक्रवार को कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने से इंकार कर दिया था। इस दौरान जज ने कहा कि अगर कानून दोषियों को जीने की इजाजत देता है तो उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप होगा। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2020 9:14 AM IST

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फांसी चढ़ाना पाप होगा...यह कहते हुए जज ने नहीं तय की निर्भया के दोषियों के मौत की तारीख
दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर कर दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी, ताकि निर्भया के गुनहगारों को जल्दी फांसी मिल सके। कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने अपनी दलील में कहा कि अब किसी भी दोषी की कोई भी याचिका किसी भी कोर्ट में लंबित नहीं है, लिहाजा कोर्ट नया डेथ वारंट जारी करने के लिए स्वतंत्र है। (फाइल फोटो- दोषियों के वकील एपी सिंह)
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सरकारी वकील के इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि यह कैसे माना जाए कि एक दोषी (पवन) अपने बचे कानूनी विकल्पों का प्रयोग नहीं करेगा यानी नई याचिका नहीं लगाएंगा। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि कोर्ट या तिहाड़ प्रशासन किसी भी दोषी को याचिका लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। (फाइल फोटो- निर्भया के दोषी)
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निर्भया के चार दोषियों में से अक्षय, मुकेश और विनय अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर चुके हैं। जबकि चौथे दोषी पवन ने अभी तक क्यूरेटिव और दया याचिका के अधिकार का प्रयोग नहीं किया है। बावजूद इसके निर्भया के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई। (फाइल फोटो- निर्भया का दोषी)
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दो बार टली फांसीः निर्भया के दोषियों ने कानूनी दांव पेंच का प्रयोग करते हुए दो बार फांसी को टाल दिया है। गौरतलब है कि कोर्ट ने 7 जनवरी को पहली बार डेथ वारंट जारी किया था। जिसमें चारों दोषियों को 21 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने की तारीख तय की गई थी। लेकिन कानून दांव पेंच के कारण दोषियों ने फांसी की तारीख टलवा दी। जिसके बाद पटियाला कोर्ट ने नई डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। लेकिन दोषियों ने कोर्ट में कानून प्रक्रिया का प्रयोग करते हुए इस तारीख को भी टलवा दिया। (फोटो- निर्भया के दोषियों की प्रोफाइल)
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क्या है पूरा मामलाःदक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। (फोटो- तिहाड़ जेल के अंदर की तस्वीर)
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छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फोटो- निर्भया के माता-पिता)
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