1947 से 2021 तक बजट की खिचड़ी: जानिए क्या देखे थे सपने और हुआ क्या

जब-जब केंद्र सरकार बजट पेश करती है, आमजनता का बजट या तो बिगड़ता है या बनता है। देश को चलाने बजट जरूरी है। 1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगी। बजट की 'खिचड़ी' किसका स्वाद बढ़ाएगी और किसका मुंह कड़वा होगा, यह तो तभी पता चलेगा। लेकिन हर बजट में सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने कुछ न कुछ नया जरूर करती है। संभावना जताई जा रही है कि इस बजट में किसानों के लिए कुछ 'बड़ा' हो सकता है। पीएम किसान की 6000 रुपए सालाना राशि बढ़ाई जा सकती है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2021 6:47 AM IST / Updated: Jan 31 2021, 03:13 PM IST

111
1947 से 2021 तक बजट की खिचड़ी: जानिए क्या देखे थे सपने और हुआ क्या

'बजट' के हसीन सपने 
वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21
वित्तमंत्री-निर्मला सीतारमण

वित्त वर्ष 2019-20 में जब निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था, तब वे इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला थीं, जिन्हें यह मौका मिला था। पिछले बजट में 2024 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का सपना देखा गया था। यह और बात है कि कोरोना ने इस सपने पर पानी फेर दिया। यह सपना 2021-22 के बजट में भी देखा जाएगा। पिछला बजट जीएसटी लागू होने के बाद आया था। इसमें 16 लाख नए करदाता जुड़े थे। आइए आगे पढ़ते हैं आजादी के बाद के बजट में क्या खास था...

211

एक बजट ऐसा भी
26 नवंबर, 1947: आजाद भारत
वित्तमंत्री-आरके शनमुखम चेट्टी

चूंकि यह बजट आजादी के बाद लाया गया था, इसलिए इस पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं। इसमें  साढ़े 7 महीनों यानी 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक को रखा गया था। इसमें जनता पर कोई नया कर नहीं थोपा गया था।

311

एक बजट ऐसा भी
28 फरवरी, 1950: लोकतांत्रिक भारत
वित्तमंत्री-जॉन मथाई

यह बजट लोकतांत्रिक भारत का पहला बजट था। इसमें बजट, निवेश और उत्पादन पर फोकस रखा गया था, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके। उस समय उत्पादन कम था, उसे बढ़ाने पर जोर दिया गया।

411

एक बजट ऐसा भी
15 मई, 1957 
वित्तमंत्री-टीटी कृष्णामाचारी

इसमें पहली बार विदेशों से चीजें मंगवान यानी आयात करने के लिए लाइसेंसी जरूरी किया गया था, ताकि सरकार को मुनाफा हो। वहीं, निर्यात को बढ़ावा देने एक्सपोर्ट रिस्क इंश्योरेंस कार्पोरेशन के गठन का फैसला लिया गया था। इसका मकसद व्यापारियों को नुकसान से सुरक्षित करना था। हालांकि एक्साइज ड्यूटी को 400 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। यह और बात रही कि टैक्स अधिक होने से विदेशी कर्ज लेना मुश्किल हो गया।

511

एक बजट ऐसा भी
29 फरवरी, 1968 
वित्तमंत्री-मोरारजी देसाई

इस बजट में पहली बार फैक्टरी के गेट पर ही वस्तुओं का मूल्यांकन शुरू किया  गया था। यानी स्टाम्प ड्यूटी खत्म कर दी गई थी। यह मूल्यांकन आबकारी विभाग करता है। इसमें व्यापारी वस्तुओं का मूल्यांकन खुद करते हैं।

611

एक बजट ऐसा भी
28 फरवरी, 1973 
वित्तमंत्री-यशवंतराव बी चव्हाण

इस बजट में सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कार्पोरेशन और कोल माइन्स का राष्ट्रीयकरण करने का फैसला लिया गया। इसके लिए सरकार ने 56 करोड़ रुपए मुहैया कराए थे। इस बजट में 550 करोड़ का घाटा हुआ था।

711

एक बजट ऐसा भी
28 फरवरी, 1986 
वित्तमंत्री-वीपी सिंह

इसमें माल पर टैक्स का भार कम करने की कोशिश की गई, ताकि व्यापारियों को नुकसान से बचाया जा सके।

811

एक बजट ऐसा भी
24 जुलाई, 1991 
वित्तमंत्री-मनमोहन सिंह

इस बजट में आयात-निर्यात पॉलिसी में व्यापक बदलाव किया गया। आमतौर पर व्यपारियों को आयात करने पर काफी दिक्कतें होती थीं। सरकार ने लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण किया। सीमा शुल्क 220 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत किया गया।

911

एक बजट ऐसा भी
28 फरवरी, 1987 
प्रधानमंत्री-राजीव गांधी

इस बजट में बेहिसाब मुनाफा कमाकर सरकार को ढेलाभर टैक्स देने वालीं कंपिनयों पर नकेल कसी गई। ये कंपनियां नियमों का फायदा उठाकर टैक्स नहीं देती थीं। इसके बाद सरकार को टैक्स मिलने लगा।

1011

एक बजट ऐसा भी
28 फरवरी, 1997 
वित्तमंत्री-पी चिदंबरम

इसमें वॉलेंटरी डिस्कलोजर ऑफ इन्कम स्कीम (VDIS) स्कीम लांच की गई। इसका मकसद विदेशों में जमा कालेधन को भारत को लाया जा सके। इस बजट में यानी 1997-98 के दौरान पर्सनल इन्कम टैक्स से सरकार को 18 हजार सात सौ करोड़ रुपए मिले थे। 

1111

एक बजट ऐसा भी
29 फरवरी, 2000 
वित्तमंत्री-यशवंत सिन्हा

इस बजट में मनमोहन सरकार की तर्ज पर सॉफ्टवेयर निर्यातकों को टैक्स  से मुक्त रखा गया। यही वजह रही कि इसके बाद भारत में साफ्टवेयर इंडस्ट्रीज को फलने-फूलने का अच्छा अवसर मिला।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos