काले रंग के कारण मुंह छिपाकर निकलती थी घर से, एक शहजादे ने बदल दी इस लड़की की जिंदगी
नई दिल्ली. दुनिया भर में रंगभेद को लेकर लंबी लड़ाई चलती रही हैं। इसमें भारत भी शामिल हैं जहां भगवान कृष्ण को सांवले सलोने कहा जाता है लेकिन काली त्वचा वाले हर शख्स को आलोचना का सामना करना पड़ता है। सोशल मीडिया पर एक लड़की ने रंगभेद का दर्द झेलने वाली अपनी कहानी बताई है कि कैसे उसे स्कूल में काला कौआ कहकर चिढ़ाया जाता था।
Asianet News Hindi | Published : Nov 27, 2019 3:19 PM IST / Updated: Nov 27 2019, 09:14 PM IST
(File Photo) इस मामले में खासतौर पर महिलाओं को बहुत ज्यादा बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को काली त्वचा होने पर समाज में तानों और रिजेक्शन झेलने पड़ते हैं। ऐसी ही एक लड़की जन्म से तानों और उलाहना का शिकार हुई। उसने रंगभेद को लेकर अपनी दर्दभरी कहानी दुनिया के सामने रखी है। इस कहानी को सुनकर आप भी किसी को सांवले होने पर तंज कहने से पहले रूक जाएंगे।
लड़की का नाम सौम्या है। वह कहां से हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर रंगभेद का दर्द झेलने वाली अपनी कहानी बताई है। यह स्टोरी सभी जगह चर्चित है। सौम्या की ये अकेली की समस्या नहीं है गोरा न होने के कारण बहुत से बच्चे आज भी रंगभेद का शिकार होते हैं। रिश्तेदारों, स्कूल में सब जगह इन्हें डार्क स्किन को लेकर तंज कसे जाते हैं, मजाक उड़ाया जाता है। इस वजह से सौम्या की कहानी से हर कोई रिलेट कर रहा है।
सौम्या ने बताया कि, जब मैं पैदा हुई थी तब मेरी मां को काली बेटी पैदा होने के लेकर काफी ताने सुनने पड़े। तो सभी रिश्तेदार मुझे गोरी बनाने के लिए तरह-तरह के घरेलू उपाय बताया करते थे। हालांकि मेरी मां ने कभी इस को मुद्दा नहीं बनाया। मेरे लिए मुश्किल तब बढ़ गईं जब मेरा छोटा भाई पैदा हुआ क्योंकि वह मुझसे गोरा था। उससे मेरी तुलना इतनी बढ़ गई कि मेरे ही घर में मेरा जीना हराम हो गया। इतना ही नहीं सेम स्कूल में पढ़ने के कारण मुझे बच्चे काला काऔ कहकर चिढ़ाते थे। मेरे लिए गोरी स्किन बिल्कुल नॉर्मल थी जैसे मेरी त्वचा थी लेकिन लोग इसे नॉर्मल नहीं बनने दे रहे थे। चारों तरफ से मिलने वाले तानों के कारण मैं डिप्रेशन में चली गई और घर से बाहर निकलती ही नहीं थी। तब मेरी मां ने थक-हारकर मुझे थेरेपी करवाने की सलाह दी। फिर स्कूल में होने वाले एक ड्रामे में मुझे लीड रोल छोड़कर पेड़ बनने को कहा गया क्योंकि मैं पेड़ बनकर मैच हो जाउंगी। इस घटना से मैं टूट गई और कई घटों तक रोती रही कि इसमें मेरी क्या गलती। मैंने थिएटर और स्पोर्ट दोनो छोड़ दिए।
मैं घर से जब भी बाहर निकलती चेहरे को कपड़े या हाथों से ढांक लेती थी। एक दिन ऐसे ही मैं दोनों हाथों से चेहरा ढक कर जा रही थी रास्ते में मेरा एक दोस्त मिला जिसने मेरे हाथ चेहरे से हटा दिए। उसने मेरी आंखों में देखकर कहा तुम बहुत सुंदर हो, तुम्हारे नैन-नक्श बहुत तीखे हैं और आंखे बेहद सुंदर हैं। उसने कहा तुम्हारा सांवला होना ही तुम्हारी पहचान है। मेरी जिंदगी में ये पहली बार था जब मैंने अपनी तारीफ सुनी थी। उसकी बातें मेरे दिल-दिमाग में उतर गईं। मैं जैसे नींद से जाग गई वो कोई शाहजादे की तरह मेरी जिंदगी बदल गया। मैंने खुद को कपड़ों से ढंकना बंद कर दिया। अपना ध्यान रखा। अच्छा हेयर स्टाइल करवाया, ड्रेसिंग सेंस बदल डाला और सनस्क्रीन लगाकार धूप में निकलना शुरू किया। इसके बाद एक लड़के के साथ डेट पर गई तो उसने भी बहुत तारीफ की। अब रिश्तेदारों के ताने मेरे कॉन्फिडेंस के सामने छोटे पड़ गए हैं।
(File Photo) जो लोग सौम्या को कल तक काली-काली कहकर चिढ़ाते थे वही आज उसे स्टनिंग, ब्यूटिफुल कहकर कॉम्पिलिमेंट देते हैं। लोग उसके फैशन सेंस को कॉपी करते हैं। रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाली सौम्या की कहानी बहुत से सांवलों बच्ची की भी दास्तान है। इसलिए रंग जैसा भी हो इंसान को खुद की इज्जत करनी चाहिए, खुद को दिल से अपनाएं दुनिया आपके कदमों में बिछ जाएगी।