पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच भारत ने चीन को दिया दूसरा झटका, इस सख्त कदम से बौखला जाएगा ड्रैगन

बीजिंग. पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुई हिंसक झड़प के 1 महीने बाद भी पैंगोंग झील पर चीन अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसी बीच भारत ने गुरुवार को चीन को एक और झटका दिया है। सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स को लेकर बनाए गए इस नियम के तहत पड़ोसी देशों को ठेके लेने के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन कराना होगा, इसके अलावा सिक्योरिटी क्लियरेंस लेनी होगी। भारत के इस कदम को चीन को जवाब देने के काउंटर के तौर पर माना जा रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 24, 2020 4:16 AM IST / Updated: Jul 24 2020, 10:19 AM IST
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पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच भारत ने चीन को दिया दूसरा झटका, इस सख्त कदम से बौखला जाएगा ड्रैगन

भारत सरकार के मुताबिक, देश की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला किया गया है। भारत की सीमा चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार से मिलती है। हालांकि, सरकार के बयान में सिर्फ पड़ोसी देश कहा गया है, इसमें किसी देश के नाम का जिक्र नहीं है। 

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सरकार के मुताबिक, भारत के पड़ोसी देश किसी वस्तु या सेवा की खरीद के लिए तभी बोली लगा पाएंगे, जब वे अथॉरिटी के साथ पहले से रजिस्टर होंगे। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से सुरक्षा के स्तर पर मंजूरी लेना भी अनिवार्य होगा। 

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इससे पहले भारत ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 59 ऐप्स को बैन कर दिया था। भारत ने इस कदम के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था। सरकार के इस कदम की अमेरिका ने भी तारीफ की थी। चीन इस फैसले के बाद से बौखलाया हुआ है। 

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वहीं, अप्रैल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर भी भारत सरकार ने इसी तरह के निर्देश जारी किए थे। कोरोना महामारी का असर भारतीय कंपनियों पर पड़ रहा है, इसे देखते हुए कंपनियों के अधिग्रहण से चीनी कंपनियों को रोकने के लिए ये बदलाव किया गया था। हालांकि, भारत ने उस वक्त भी चीन का नाम नहीं लिया था। हालांकि, चीन ने इसे नीतिगत भेदभाव बताया था। 

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15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। हालांकि, खबरों की मानें तो चीन के भी 40 सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से ही भारत में चीनी कंपनियों का जमकर विरोध हो रहा है। 

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गुरुवार को जारी आदेश में सरकार ने कहा है कि ये पाबंदियां सरकारी बैंक, वित्तीय संस्थाओं और सरकारी एंटरप्राइजेज की तरफ से जारी टेंडर्स पर लागू होंगी। 

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जानकारों का मानना है कि भारत सरकार पहले ही इस कदम के लिए मन बना चुकी थी। क्योंकि चीन को सख्त संदेश भेजने के लिए सरकारी टेंडर सबसे बढ़िया हथियार था।

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