चंद मिनट में 300 किमी की दूरी पर खड़े दुश्मन को ढेर कर सकती है भारत की ये मिसाइल, दिलचस्प बातें

Published : Sep 30, 2020, 03:17 PM ISTUpdated : Sep 30, 2020, 04:07 PM IST

नई दिल्ली. भारत ने बुधवार को विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के पीजे-10 परियोजना के तहत ओडिशा के बालासौर तट से इसका परीक्षण किया गया। इसके तहत मिसाइल को स्वदेशी बूस्टर के साथ लॉन्च किया गया। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था। इसे नए स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम के साथ लगाया गया है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का दूसरी सफल टेस्टिंग है। ऐसे में इसके बारे में आपको दिलचस्प बातें बता रहे हैं।

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चंद मिनट में 300 किमी की दूरी पर खड़े दुश्मन को ढेर कर सकती है भारत की ये मिसाइल, दिलचस्प बातें

ब्रह्मोस मिसाइल 300 किमी की दूरी पर खड़े दुश्मन को ढेर सकती है। ये कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से भी दागा जा सकता है। 

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ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है। रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। 

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रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

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ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर वार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।

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हवा से सतह पर मार करने में सक्षम 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किमी है। इसके एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण लगातार चल रहा है। वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान से इसके कई सफल फायर ट्रायल को आयोजित किया जा चुका है।

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मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि इसके लिए 4,300 करोड़ रुपए का खर्च किया गया है। बता दें कि एयरफोर्स के फाइटरजेट सुखोई-30 भी पहले ब्रह्मोस के साथ उड़ान भर चुका है।
 

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इस उड़ान के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन गया था, जिसके एयरफोर्स बेड़े में सुपरसोनिक मिसाइल शामिल है। इस ऐतिहासिक उड़ान के बाद भारत को अब समुद्र, जमीन और आसमान से एटमिक हमला करने में ताकत मिल गई है।

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ये ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो परमाणु बमों को भी अपने साथ ले जा सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल अपने साथ 300 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है।

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