'जामताड़ा'...नाम तो सुना ही होगा, चौथी-5वीं फेल युवा देते हैं 100% ठगे जाने वाला धांसू Idea

जामतारा(जामताड़ा) झारखंड का एक छोटा जिला है। लेकिन इसने भारत के अलावा कई दूसरे देशों के भी कान खड़े कर रखे हैं। जामताड़ा ठगों की बस्ती के रूप में कुख्यात हो चुका है। कहने को यहां के ज्यादातर युवा कम पढ़े-लिखे हैं। कोई पांचवीं फेल, तो कोई चौथी फेल। लेकिन दिमाग इतना शातिर की सारे देश को ठगने में लगे हैं। जामताड़ा पर सिर्फ विभिन्न राज्यों की साइबर क्राइम पुलिस ही नजर नहीं रखती, बल्कि अब अमेरिका की एक एजेंसी भी इस पर रिसर्च करेगी। वो यह मालूम करेगी कि आखिर यहां के युवा ठगी के ऐसे आइडियाज लाते कहां हैं? कैसे छोटे से शहर के बेरोजगार युवा ठगी के जरिये लखपति बन गए? पढ़िए जामताड़ा का खतरनाक खेल और इतिहास...

Asianet News Hindi | Published : Jan 14, 2021 5:52 AM IST / Updated: Jan 14 2021, 11:48 AM IST

19
'जामताड़ा'...नाम तो सुना ही होगा, चौथी-5वीं फेल युवा देते हैं 100% ठगे जाने वाला धांसू Idea

जामताड़ा के साइबर अपराध ने देशभर में खलबली मचा दी है। यहां के ठग किसी को नहीं बख्शते, चाहे वो अमीर हो या गरीब। पुलिसवाला हो या कोई नेता-अभिनेता। 2020 में यहां के ठगों ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी और सांसद परनीत कौर से भी 23 लाख रुपए ठग लिए थे। ठग ने खुद को बैंक मैनेजर बताकर उन्हें चपत लगाई थी। अमेरिका की एक एजेंसी यह रिसर्च करेगी कि कम पढ़े-लिखे युवा फ्रॉड के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे कर लेते हैं? वे यह तकनीक कहां से सीखते हैं?


(यह पोस्टर नेटफ्लिक्स की वेबसीरिज का है, इसकी टैग लाइन 'सबका नंबर आएगा' खूब पॉपुलर हुई थी)

29

 जामताड़ा के ठग बकायदा कॉल सेंटर के जरिये ठगी करते हैं। ये विभिन्न प्रकार के ऐप डाउनलोड करवाकर लोगों का पैसा उड़ा देते हैं। ठगों ने जंगलों में जाकर लोगों को कॉल करते हैं। बताते हैं कि यहां के जंगलों में जहरीले सांप हैं, इसलिए पुलिस भी वहां घुसने से डरती है। वहीं, जब पुलिस गांव पहुंचती है, तो महिलाएं आदि उन्हें अलर्ट कर देते हैं। बता दें कि संथाली भाषा में जामा का मतलब सांप होता है। ताड़ का आशय आवास से। इसलिए सांपों का घर हुआ जामताड़ा।

39

जामताड़ा 17 किमी दूर है करमाटांड। ईश्वरचंद विद्यासागर की यह कर्मस्थली इस समय साइबर क्राइम माफियाओं के कारण कुख्यात हो गई है। जिन युवाओं के पास कभी ठीक से पहनने-खाने को नहीं हुआ करता था, आज वे महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं। ऐश कर रहे हैं।

49
59

वर्ष, 2011-12 में जब स्मार्ट फोन का क्रेज बढ़ा, तब यहां के बदमाश मुंबई, दिल्ली, गुजरात आदि जाकर साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेकर लौटे।

69

जामताड़ा के बदनाम होने की कहानी 10 साल पहले हुई। यहां के गांव सिंदरजोरी का रहने वाला ठगों का सरगना सीताराम मंडल काम की तलाश में मुंबई आया था। वहां वह किसी मोबाइल रिसार्च की दुकान पर काम करने लगा। यहां उसने जाली सिमकार्ड के जरिये ठगी का तरीका अपनाया। जब वो अपने गांव लौटा, तो उसने लोगों को कभी बैंक मैनेजर, तो कभी किसी कंपनी का प्रतिनिधि बताकर एटीएम नंबर, ओटीपी और CVV नंबर लेकर पैसे उड़ाना शुरू कर दिए। हालांकि यह पकड़ा गया, पर जमानत पर छूट आया। इसके बाद सीताराम ने गांव के युवकों को ठगी की ट्रेनिंग देना शुरू कर दी। माना जाता है कि यह 400 युवाओं का ठगी की ट्रेनिंग दे चुका है।
(ठगों का उस्ताद सीताराम और उसका घर)

79

पिछले 3-4 सालों में यहां से 500 से ज्यादा ठगों को पकड़ा गया है। लेकिन सबूत नहीं होने पर सजा बमुश्किल कुछ लोगों को ही हो पाई। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऐसे कई लोगों को अपने राडार पर ले रखा है, जिन्होंने बेहिसाब प्रॉपर्टी खरीद रखी हैं।
 

89

जामताड़ा पहले भी अपराधों के लिए कुख्यात रहा है। कुछ अर्से पहले यहां नशीला पदार्थ मिलाकर यात्रियों को लूटने की घटनाएं होती थीं। लेकिन साइबर क्राइम अब यहां का सबसे बड़ा अपराध बन गया है। 20 साल तक यहां मालगाड़ियों की वैगन ब्रेकिंग की घटनाएं भी खूब हुईं।
 

99

शुरुआत में जब लोग साइबर क्राइम से वाकिफ नहीं थे, तब यहां के लोगों ने उन्हें फोन कॉल करके खूब ठगा। लेकिन जब लोगों में जागरुकता आई, तो इन्होंने भी अपना तरीका बदला। लोग इनकी आवाज न पहचानने लगें, इसलिए अब इन्होंने यूपी, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों में अपने माड्यूल तैयार किए। ये ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ने लगे, जिनकी हिंदी और अंग्रेजी साफ और अच्छी है। साइबर क्राइम ने पिछले सालों में कई अपराधियों को पकड़ा। इन्होंने बताया कि ये बकायदा कॉल सेंटर चलाकर ठगी करते हैं।
(वेबसीरिज जामताड़ा का एक दृश्य)

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos