5 गोलियां लगीं फिर भी काट दिया था PAK मेजर का सिर, 48 पाकिस्तानियों को मारकर फहराया था तिरंगा

नई दिल्ली. ऑपरेशन विजय के जरिए भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। 26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध में भारत के करीब 500 जवान शहीद हुए। लेकिन उनकी वीरता की कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं। इन्हीं जवानों में से एक रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह भी हैं। राजस्थान के सीकर में रहने वाले दिगेंद्र ने करगिल वार में पाकिस्तान फौज का डटकर सामना किया था। इन्होंने 48 पाकिस्तानियों को मारकर तिरंगा फहराया था।
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 16, 2020 11:30 AM IST / Updated: Jul 17 2020, 10:53 AM IST
111
5 गोलियां लगीं फिर भी काट दिया था PAK मेजर का सिर, 48 पाकिस्तानियों को मारकर फहराया था तिरंगा

26 जुलाई 2019 को कारगिल विजय दिवस को 21 साल पूरे हो रहे हैं। 1999 में भारतीय सेना ने पाक के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दिया था। मई से जुलाई 1999 के बीच करीब दो महीने तक ऑपरेशन विजय के नाम से चले कारगिल युद्ध में पहली जीत फौजी दिगेंद्र सिंह ने दिलवाई थी।

211

नायक दिगेंद्र कुमार महावीर चक्र विजेता है। उन्होंने करगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर में तोलोलिंग पहाड़ी की बर्फीली चोटी को मुक्त करवाकर 13 जून 1999 की सुबह चार बजे तिरंगा लहराते हुए भारत को पहली जीत दिलाई, जिसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया।

311

3 जुलाई 1969 को राजस्थान के सीकर जिले में जन्में दिगेंद्र 1985 में राजस्थान राइफल्स 2 में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध मे तोलोलिंग पर कब्जा करना सबसे महत्वपूर्ण था। इस पर कब्जा कारगिल की दिशा बदलने वाला था। राजपूताना राइफल्स को इस कार्य का जिम्मा सौपा गया था। 

411

जनरल मलिक ने इस सेना की टुकड़ी से तोलोलिंग पहाड़ी को आजाद कराने की योजना पूछी। तब दिगेंद्र ने कहा, मेरे पास योजना है, जिसके जीत सुनिश्चित है।

511

काम आसान नहीं था, क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने ऊपर चोटी पर 11 बंकर बनाए थे। पहाड़ियों पर पड़ी बर्फ से ऊपर चढ़ना और भी मुश्किल था। 

611

दिगेद्र अपने साथियों के साथ दुश्मन के पास तक पहुंचे। उन्होंने दुश्मन के बंकर में एक हथगोला फेंका। जोर से धमाका हुआ तो अंदर से आवाज आई, अल्हा हो अकबर। काफिर का हमला। 

711

दिगेन्द्र की वजह से दुश्मन का पहला बंकर राख हो चुका था। हालांकि इसके बाद आपसी फाइरिंग तेज हो गई। दिगेन्द्र बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
 

811

फायरिंग में दिगेंद्र के सीने में तीन गोलियां लगीं। कुल 5 गोलियां लगी। एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था। एक पैर से जूता गायब और पैंट खून से सन गया।

911

दिगेन्द्र ने हिम्मत नहीं हारी। बहते हुए खून को रोका। दिगेन्द्र ने अकेले ही 11 बंकरों में 18 हथगोले फेंके और उन्होंने सारे पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट कर दिया।

1011

इसी दौरान दिगेन्द्र को पाकिस्तानी मेजर अनवर खान नजर आया। झपट्टा मार कर अनवर पर कूद पड़े और उसका सिर काट दिया। 
 

1111

दिगेन्द्र पहाड़ी की चोटी पर लड़खडाते हुए चढ़े और 13 जून 1999 को सुबह चार बजे तिरंगा गाड़ दिया। युद्ध के बाद दिगेद्र सिंह को राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने महावीर चक्र से नवाजा था। दिगेंद्र को इंडियन आर्मी में बेस्ट कोबरा कमांडो के रूप में भी जाना जाता है। 47 साल के दिगेंद्र सिंह 2005 में रिटायर हुए थे। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos