दिल्ली के अस्पतालों पर क्यों भड़क गए केजरीवाल, सबके सामने कहा, एक-एक हॉस्पिटल के मालिक को बुला रहा हूं

नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ऐप पर दिल्ली के सभी अस्पतालों की जानकारी है लेकिन दिल्ली के कुछ अस्पताल बेड की गलत जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा, प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना के मरीजों को भर्ती करना पड़ेगा। अगर नहीं करेंगे तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे। बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले टेस्ट करवाने के लिए न जाएं। अगर सभी टेस्ट करवाने जाएंगे तो बहुत दिक्कत होगी किसी भी संदिग्ध मरीज को इलाज से मना नहीं किया जाएगा। टेस्ट अस्पताल कराएगा। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो कोरोना वॉर्ड में एडमिट होगा, नहीं तो सामान्य वॉर्ड में इलाज होगा। आज आदेश जारी कर रहे हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 6, 2020 7:45 AM IST / Updated: Jun 06 2020, 02:27 PM IST
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दिल्ली के अस्पतालों पर क्यों भड़क गए केजरीवाल, सबके सामने कहा, एक-एक हॉस्पिटल के मालिक को बुला रहा हूं

दिल्ली के कुछ अस्पताल इतने शक्तिशाली हो गए हैं सभी पार्टियों के अंदर उनकी पहुंच हैं, उन्होंने धमकी दी है कि हम कोरोना के मरीज नहीं लेंगे जो करना है कर लो। मैं उनको कहना चाहता हूं कोरोना के मरीज तो तुमको लेने पड़ेंगे। जो दो-चार अस्पताल इस गुमान में हैं कि वो अपनी दूसरी पार्टी के आकाओं के जरिए कुछ करवा लेंगे, वो अपनी ब्लैक मार्केटिंग करेंगे। तो उनको मैं आज चेतावनी देना चाहता हूं, उनको बख्शा नहीं जाएगा।

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उन्होंने कहा, दो-चार अस्पताल इस गलतफहमी में हैं कि वे ब्लैक मार्किंटिंग कर लेंगे, उन अस्पतालों को बख्शा नहीं जाएगा। कल से एक-एक अस्पताल के मालिक को बुला रहे हैं और पूछ रहे हैं कि कोरोना के मरीजों का इलाज तो करना ही होगा। 
 

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"चंद अस्पताल दिल्ली में बहुत पावरफुल हो गए हैं, उनकी बहुत पहुंच हैं। उन अस्पतालों का कहना चाहता हूं कि आपको कोरोना के मरीजों का नियमों के हिसाब से इलाज करना ही होगा।"
 

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दिल्ली सरकार ने अब तक लगभग 8,500 बेड का इंतजाम किया है, जिनमें से करीब 45 प्रतिशत बेड अभी भरे हुए हैं। 
 

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, अस्पतालों के फ्लू क्लिनिक में टेस्ट होता है। कोविड सेंटरों पर टेस्ट होता है। 36 प्राइवेट लैब्स में टेस्ट हो रहा है। सबसे ज्यादा टेस्ट पूरे देश में दिल्ली में हो रहे हैं। जितनी भी टेस्टिंग कैपिसिटी कर लें कम है। 
 

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक, एसिप्टोमैटिक और हल्के लक्षण वाले मामलों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। अस्पताल को किसी भी हल्के या एसिप्टोमैटिक मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के 24 घंटे के अंदर डिस्चार्ज करना होगा। 

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"दिल्ली सरकार का एक मेडिकल प्रोफेशनल हर प्राइवेट अस्पताल के रिसेप्शन पर बैठेगा। वो हमें ये जानकारी देगा कि कितने बेड खाली हैं और कितने भर गए हैं। कोई जाएगा तो वो ये सुनिश्चित करेगा कि उसको भर्ती करें।"
 

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