जहां मिला था पहला केस, वहां हारने की कगार पर पहुंचा कोरोना; हर जगह हो रही केरल के इस मॉडल की चर्चा

तिरुअनंतपुरम. भारत में कोरोना संक्रमण के 46549 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, 1572 लोगों की मौत हो चुकी है। जहां भारत में जहां महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में एक ओर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं, दूसरी एक ऐसा भी राज्य है, जहां कोरोना हारने की कगार पर पहुंच गया है। हम बात कर रहे हैं केरल की। भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला केरल में 30 जनवरी को मिला था। इसके बाद राज्य कई दिनों तक सबसे ज्यादा संक्रमित राज्यों के मामले में पहले नंबर पर रहा। लेकिन अब केरल में कोरोना हारने की कगार पर पहुंच गया है। यहां पिछले 2 दिन में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया। केरल में कोरोना वायरस को हराने में सबसे अहम भूमिका एक महिला की रही। आईए जानतें हैं कि वह महिला कौन है और केरल ने कोरोना को हराने के लिए क्या कदम उठाए।

Asianet News Hindi | Published : May 5, 2020 9:44 AM IST / Updated: May 05 2020, 03:30 PM IST

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जहां मिला था पहला केस, वहां हारने की कगार पर पहुंचा कोरोना; हर जगह हो रही केरल के इस मॉडल की चर्चा

केरल में अब सिर्फ 34 पॉजिटिव केस : 
केरल में कोरोना वायरस के अब तक 500 मामले सामने आए हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसमें से 462 लोग ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को 64 मरीज घर लौटे। अब केरल में कोरोना के सिर्फ 34 पॉजिटिव केस हैं। केरल में अब तक सिर्फ 4 लोगों की मौत हुई है। यहां पिछले 2 दिन से कोरोना का कोई केस सामने नहीं आया। 

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महामारी से लड़ने में अनुभव काम आया:
कोरोना के खिलाफ केरल मॉडल की चर्चा पूरे देश में है। महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा की अहम भूमिका रहीं। वे राजनीति में आने से पहले साइंस की टीचर थीं। शैलजा को इससे पहले भी महामारी से लड़ने का अनुभव था, इसी का फायदा कोरोना के खिलाफ जंग में उन्हें मिला। केरल में 2018 में फैले निपाह वायरस के वक्त भी वे स्वास्थ्य मंत्री थीं। 

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निपाह की बात करें तो यह कोरोना की तुलना में छोटी आपदा था। वहीं, कोरोना की बात करें तो इसकी अभी तक कोई दवा भी नहीं बनी। ऐसे में यह बड़ा संकट है। इसके बावजूद , ज्यादा टेस्टिंग, स्क्रीनिंग, संपर्को की जांच और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाकर कोरोना से निपटा जा रहा है। कोरोना से केरल में अब तक सिर्फ 4 लोगों की मौत हुई है।

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केरल में सिर्फ 0.8% मृत्यु दर:
राज्य में कोरोना के 3 मामले सामने आने के बाद ही केरल सरकार ने सक्रियता दिखाई। जहां कोरोना केसों के मामले में केरल टॉप पर था, वह थोड़े ही समय में नीचे आने लगा। यहां लोग ठीक होने लगे। जहां दुनिया में कोरोना से मृत्यु दर 6.9% है। वहीं, केरल में यह सिर्फ 0.8% है। यहां मरीजों के ठीक होने की दर भी बहुत अधिक है। भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में सामने आया था। यहां वुहान में पढ़ने वाली एक छात्रा कोरोना संक्रमित मिली थी। हालांकि, राज्य की ठीक होने वाली पहली मरीज भी वही थी। जब छात्रा अस्पताल में भर्ती थी, तब स्वास्थ्य मंत्री ने खुद उससे बाद कर उसका हौसला बढ़ाया था।

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खुद संभाला मोर्चा:
शैलजा ने हर रोज कोरोना को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और वास्तविक स्थिति से लोगों को अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से लोगों को क्या करना चाहिए या क्या नहीं, इसकी सलाह और टिप्स भी देती रहीं। 

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जनवरी में अलर्ट पर आ गया था केरल:
शैलजा ने हाल ही में एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि जैसे ही वुहान में कोरोना वायरस के बारे में हमने सुना था हम अलर्ट हो गए थे। इसके बाद राज्य में 24 जनवरी को एक कंट्रोल रूम बनाया गया। सभी जिलों को अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया। वुहान से लौटे तीन लोग संक्रमित पाए गए। इसके तुरंत बाद राज्य में उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश की गई। हालांकि, उनमें से कोई संक्रमित नहीं मिला। 

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मार्च से कीं ये तैयारियां: 
राज्य में कंट्रोल रूम बनाने के बाद 18 डिवीजन में राज्य को बांटा गया। इनमें सर्वेलांस, आइसोलेशन सेंटर, ट्रीटमेंट सेंटर और काउंसलिंग सेंटर बनाए गए। हर डिवीजन में एक अफसर तैनात किया गया। हर टीम में 15 लोग थे। लेकिन जैसे ही संक्रमण के मामले बढ़े राज्य सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों, होटलों और क्लिनिक सेंटरों को भी अपने अंडर ले लिया। द न्यूज मिनट को दिए इंटरव्यू में शैलजा ने बताया, यह सब आसान नहीं रहा। बाहर से राज्य में आए सभी लोगों की जांच करना या क्वारंटाइन करना आसान काम नहीं है। इसके लिए एक्सपर्ट की 18 टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन, लॉजिस्टिक कलेक्शन, मरीजों की देखभाल जैसे कामों को निभाया। यहां तक की एक ग्रुप तो लोगों को यह तक बता रहा था कि कैसे प्रोटोकॉल के तहत लोगों को मरने के बाद दफनाया जाए। (फोटो- कासरगोड में बना कोरोना अस्पताल।)

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राज्य में पहले से थीं पीपीई किट
शैलजा ने बताया कि मेडिकल कर्मियों को सुरक्षित रखना हमारे लिए बड़ी चुनौती थी। हालांकि, निपाह वायरस के वक्त से ही हमारे पास पीपीई किट थीं। ये गल्फ देशों से आई थीं। उन्होंने बताया कि हमारे पास 2500 वेंटिलेटर थे। हालांकि, इसके बाद हमने 5000 वेंटिलेटर के लिए ऑर्डर दिया, लेकिन वेंटिलेटर की दुनियाभर में कमी होने के चलते नहीं मिल सके। 

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राज्य ने 1.2 लाख बेड तैयार रखे:
केरल में अप्रैल की शुरुआत में ही मरीजों के लिए 1.2 लाख बेड तैयार रखे थे। इनमें से 5000 बेड आईसीयू और वेंटिलेटर वाले थे। यहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को अनिवार्य किया गया। इसके अलावा जिन लोगों ने ये नियम नहीं माने उन पर कार्रवाई भी की गई। 

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केरल में हर 3 गावों के बीच में एक अस्पताल:
केरल में हर तीन गांव के बीच 2 स्वास्थ्य केंद्र हैं। देश में यह सबसे ज्यादा। यहां हर संदिग्ध को आइसोलेशन में रखना काफी हद तक आसान रहा। इसके अलावा केरल में क्वारंटाइन अवधि को बढ़ाकर 28 दिन किया गया। यहां करीब 1.5 लाख लोगों को क्वारंटाइन किया गया। 

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हेल्पलाइन नंबर 'दिशा' शुरू किया:
यहां कोरोना के लिए हेल्पलाइन नंबर 'दिशा' की शुरुआत की गई। इसमें 104 दिनों में करीब 1 लाख लोगों ने कॉल की। यहां 22 जनवरी से 24 घंटे सामाजिक कार्यकर्ताओं, काउंसलरों ने उपलब्ध रहकर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी।

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