3 राजधानी वाला पहला राज्य बना आंध्र; आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी; जानें क्यों हो रहा इसका विरोध

हैदराबाद. आंध्र प्रदेश तीन राजधानियों वाला देश का पहला राज्य बन गया। सोमवार देर रात तीन राजधानी वाले विधेयक को आंध्र प्रदेश विधानसभा ने मंजूरी दे दी। नए विधायक के तहत आंध्र की अब अमरावती, विशाखापत्तनम और कुर्नूल तीन राजधानियां होंगी। इस प्रस्ताव का राज्यभर में विरोध हो रहा है। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 5:28 AM IST / Updated: Jan 21 2020, 11:12 AM IST

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3 राजधानी वाला पहला राज्य बना आंध्र; आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी; जानें क्यों हो रहा इसका विरोध
जगन मोहन रेड्डी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में तीन राजधानी वाले प्रस्ताव को पेश किया था। इसे मंजूरी मिल गई है। महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की भी दो राजधानी हैं।
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तीन राजधानी; कैसे होगा कामों का बंटवारा : विशाखापट्टनम कार्यकारी राजधानी, अमरावती विधायी राजधानी और कुर्नूल न्यायिक राजधानी होगी। यानी मुख्यमंत्री का कार्यालय, राजभवन और सचिवालय समेत कई सरकारी दफ्तर विशाखापट्टनम में होंगे। वहीं, अमरावती में विधानसभा होगी। इसके अलावा कुर्नूल में हाईकोर्ट होगा।
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तीन राजधानियां क्यों? विरोध के बावजूद रेड्डी सरकार ने विधानसभा से यह प्रस्ताव पारित करा लिया। तीन राजधानियों की अवधारणा के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे उत्तरी तट, दक्षिणी तट और रायलसीमा तीनों का विकास एक समान हो जाएगा।
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विरोध का क्या कारण है? : पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है। टीडीपी का आरोप है कि विजयवाड़ा-गुंटूर में रेड्डी समुदाय की बहुलता है, इसलिए वहां राजधानी बनाई जा रही है। वहीं, रेड्डी का पार्टी वाईएसआर का कहना है कि अमरावती में नायडू समुदाय की आबादी ज्यादा है, इसलिए नई राजधानी यहां बनाई जा रही थी। अमरावती को राजधानी बनाने के लिए 33 हजार करोड़ रुपए की लागत राशि पास की थी। इसके अलावा राज्य के किसान भी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। दरअसल, इन किसानों की 33 हजार एकड़ जमीन अमरावती को राजधानी बनाने में ली गई थी।
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राज्य में हैं पांच उप मुख्यमंत्री: लोकसभा के साथ आंध्र में विधानसभा चुनाव हुए थे। रेड्डी की पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला था। लेकिन उन्होंने पांच उप मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका दिया था। आंध्र में अल्ला काली कृष्णा श्रीनिवास, पुष्पश्रीवाणी पमुला, पिल्ली सुभाष चंद्र बोस, अमजद बाशा और के.नारायण स्वामी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। माना जा रहा है कि इस फैसले से रेड्डी ने दलित, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और कापू समुदाय को खुश रखने की कोशिश की थी।
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आंध्र को दो बार बदलनी पड़ी राजधानी 1956- आंध्र प्रदेश गठित होने के बाद कुर्नूल, हैदराबाद में मिल गया। इससे राजधानी के तौर पर इसे खोना पड़ा। 2014- तेलंगाना राज्य बना तो आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती बनाई गई। दरअसल, हैदराबाद तेलंगाना में चली गई।
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