चल रहे थे पत्थर,जान लेने पर उतारू थे दंगाई...भीड़ के आगे 40 लोगों के लिए देवदूत बनीं मुश्तारी, यूं बचाई जान

नई दिल्ली. दिल्ली हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 42 पहुंच चुका है। नालों और जले घरों-गाड़ियों से निकलने वाली लाशें लोगों को और भी डरा रही हैं। हिंसा की आग शांत होने के बाद धीरे-धीरे पूरे घटनाक्रम के राज से पर्दा उठता जा रहा है। जिसमें हिरो और विलेन दोनों की कहानियां सामने आ रही हैं। एक ओर जहां आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के घर से हिंसा को अंजाम देने के समान बरामद हुए हैं। तो वहीं, दूसरी तरफ अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने वाले चेहरे भी सामने आए हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2020 6:33 AM IST

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चल रहे थे पत्थर,जान लेने पर उतारू थे दंगाई...भीड़ के आगे 40 लोगों के लिए देवदूत बनीं मुश्तारी, यूं बचाई जान
ऐसी ही एक कहानी है मुश्तारी खातून की, जो अधिकतर अपने घर में ही रहती हैं और सिलाई का काम करती हैं, ताकि परिवार के भरण-पोषण में पति का हाथ बंटा सकें। लेकिन 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 42 साल की खातून घर से बाहर निकलीं और बहुत सारे लोगों की जान बचाकर हीरो बन गईं।
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25 फरवरी को जब खातून के परिवार को मदद की जरूरत थी, तो वह दंगों भरी सड़कों से पत्थरों और पेट्रोल बम से बचते हुए करीब 1 किलोमीटर चलकर अपने परिवार को बचाने खजूरी खास पहुंचीं। वहां एक-दो नहीं, बल्कि 40 लोग फंसे हुए थे, जिन्हें मुश्तारी खातून ने बड़ी होशियारी से बचाकर निकाल लिया। इसके लिए उन्होंने घरों की छतों का इस्तेमाल किया और उन्हीं से होते हुए वह सभी 40 लोगों को लेकर पुलिस की एक टीम तक जा पहुंचीं, जिन्होंने सभी को सुरक्षा मुहैया कराई। (फोटोः दिल्ली हिंसा के बाद जली हुई गाड़ियों को हटाया जा रहा)
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वह अपने पति के साथ चंदू नगर में रहती हैं और अब वहां लोग उन्हें 'एक हीरो' कहने लगे हैं। खातून ने शनिवार को बताया कि वह जानती थीं कि अगर कोई खजूरी खास नहीं जाता, तो वहां फंसे सभी 40 लोगों की जान जा सकती थी। वह अब खुश हैं कि उनकी भतीजी और भांजी सही सलामत हैं। मुश्तारी कहती हैं कि उन्होंने सोमवार को पूरे दिन इंतजार किया, लेकिन मंगलवार को वह सुबह-सुबह ही अपने परिवार की मदद के लिए निकल पड़ीं। (फोटोः दिल्ली हिंसा के बाद अपनों के इंतजार में परिवार)
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खजूरी खास मेन उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल रोड पर है, जहां भारी संख्या में दंगाई जमा थे। जब खातून खजूरी खास में फंसे रिश्तेदारों को बचाने पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि सड़कों से निकलते का कोई रास्ता नहीं है। हर जगह दंगाइयों की भीड़ थी, जो एक दूसरे पर हमले कर रही थी और कारों, बाइकों और घरों को आग के हवाले कर रही थी। (फोटोः सुरक्षा बलों ने स्थानीय नागरिकों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया)
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खातून ने बताया कि वहां पहुंचने के बाद अगले 4 घंटे काफी खतरनाक थे, क्योंकि वहां आस-पास दंगाई जमा होते जा रहे थे। वहां सारे लोग पहले एक जगह पर जमा हुए। तेजी से करीब आती भीड़ को देखकर खातून ने कहा कि घरों की छतों पर कूदकर यहां से निकला जाए। ऐसे में कम उम्मीद थी कि भीड़ उन्हें देख पाती। (फोटोः दंगाईयों ने जमकर पत्थरबाजी की थी। जिसके बाद सड़क पूरे मलबे से पटा हुआ है, जिसे साफ किया जा रहा है।)
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बता दें कि वहां घर काफी नजदीक या चिपके हुए हैं। खातून ने लोगों की मदद के लिए अपने पड़ोसियों को भी बुला लिया था। इस तरह वह एक पुलिस टीम तक जा पहुंचे, जिन्होंने सबको चंदू नगर तक जाने के लिए मुख्य मार्ग पर सुरक्षा दी। पुलिस के साथ चंदू नगर के करीब 100 लोगों ने सबको बचा लिया। (फोटोः हिंसात्मक भीड़ ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में कुछ भी नहीं छोड़ा, गाड़ियों तक को आग के हवाले कर दिया)
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अब तक 42 की मौतः दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा में मृतकों की संख्या बढ़कर 42 हो गयी है। जबकि 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनके कारण मुख्य रूप से जो क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, उनमें जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा शामिल हैं। (फोटोः हिंसा के बाद से सुरक्षा बलों के तैनाती की गई है। सुरक्षा बल लगातार शांति व्यवस्था के लिए फ्लैग मार्च कर रहे हैं।)
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23 फरवरी को हुई थी हिंसा की शुरुआतः दिल्ली के उत्तरपूर्वी इलाके में नागरिकता कानून के समर्थन और विरोध करने वाले दो गुटों के बीच झड़प से इस हिंसा की शुरुआत हुई थी। 23 फरवरी की रात को उपद्रवियों ने फिर हिंसा शुरू की। मौजपुर, करावल नगर, बाबरपुर, चांद बाग में पथराव और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। यह हिंसा 24 और 25 फरवरी को भी जारी रही। (फोटोः दिल्ली हिंसा में पत्थरबाजी के बाद पूरा सड़क ईंट और पत्थरों से पटा हुआ है।)
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कैसे हुई हिंसा की शुरुआत? शाहीनबाग में सीएए के विरोध में करीब 2 महीने से ज्यादा वक्त से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। रविवार की सुबह कुछ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर होते-होते मौजपुर में भी कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। शाम को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया, वह दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे।
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वे भी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने लिखा, सीएए के समर्थन में मौजपुरा में प्रदर्शन। मौजपुर चौक पर जाफराबाद के सामने। कद बढ़ा नहीं करते। एड़ियां उठाने से। सीएए वापस नहीं होगा। सड़कों पर बीबियां बिठाने से।' भाजपा समर्थकों के सड़क पर उतरने के बाद मौजपुर चौराहे पर ट्रैफिक दोनों तरफ से बंद हो गया है। समर्थन में लोग सड़कों पर बैठ गए हैं। इसी दौरान सीएए का विरोध करने वाले और समर्थन करने वाले दो गुटों में पत्थरबाजी हुई। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।
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