जहां निर्भया से गैंगरेप हुआ था, उस सीट को कीड़े खा चुके हैं...अंदर से देखिए कैसी है उस बस की हालत
नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों को डेथ वॉरंट जारी करने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान निर्भया की मां रो पड़ीं। उन्होंने कहा कि ये कोर्ट सिर्फ उनके(दोषियों) लिए बैठ रही है। ये जज साहब तारीख देना चाहते ही नहीं है, सिर्फ और सिर्फ उनका साथ दे रहे हैं। मैं सुप्रीम कोर्ट से ये अपील करती हूं कि वो डेथ वारंट निकाले क्योंकि पटियाला कोर्ट डेथ वारंट जारी करने के मूड में नहीं है। निर्भया की मां 7 साल से दोषियों को फांसी देने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। दो बार तो डेथ वॉरंट जारी होने के बाद रद्द किया गया। दोषियों को कब मौत मिलेगी, नहीं पता। लेकिन इस बीच उस बस की कुछ तस्वीरें दिखाते हैं, जिसमें निर्भया के साथ दरिंदगी हुई।
Asianet News Hindi | Published : Feb 12, 2020 10:38 AM IST / Updated: Feb 12 2020, 04:10 PM IST
बस दिल्ली के सागरपुर इलाके में डीडीए पार्क में खड़ी है। यह अंदर और बाहर दोनों जगहों से बद से बदतर हो चुकी है।
जिस बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया गया, उसका नंबर DL 1PC 0149 है। बस दिनेश यादव नाम के शख्स की है।
बस पर यादव लिखा है। इसी लिखावट से पुलिस को आरोपियों तक पहुंचने का लिंक मिला था।
बस में आखिरी अंक 2,26,784 दर्ज है। यानी बस ने 2,26,784 किलोमीटर तक की यात्रा दर्ज की है। यह बस में आखिरी नंबर दर्ज है।
बस की पीछे से दूसरे नंबर की सीट पर निर्भया से दरिंदगी की गई थी। अब बस कबाड़ हो चुकी है। सीटे फट गई हैं। गद्दे हटा लिए गए हैं या फिर कीड़े खा गए हैं।
बस की खिड़की में शीशे टूट गए हैं। बस को पुलिस ने वारदात के अगले दिन यानी 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के संत रविदास कैंप से बरामद किया था।
लोगों के गुस्से से बचाने के लिए लगभग डेढ़ साल पहले तक बस को साकेत कोर्ट परिसर में सुरक्षित रखा गया था। इससे पहले इसे त्यागराज स्टेडियम में रखा गया था।
11 मार्च 2013 राम सिंह नामक मुख्य आरोपी ने सुबह तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर लिया। राम सिंह के परिवार वालों तथा उसके वकील का मानना है कि उसकी जेल में हत्या की गई है।
14 सितम्बर 2013 को इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। जल्द ही उन्हें फांसी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सागरपुर इलाके में मैदान की रखवाली करने वाले सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस यहां करीब 3 साल से खड़ी है।
केस खत्म होने के बाद बस मालिक अपनी बस ले सकता है, लेकिन बस मालिक अभी तक इसे लेने नहीं आया है। जब तक बस का मालिक इसे लेने नहीं आता, तब तक यह बस सरकारी संपत्ति रहेगी।