जब निर्भया के दोषियों को मौत से बचाने वाले वकील को मारी थी चप्पल, फाड़ दिए थे कपड़े, ऐसी है कहानी

नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों के लिए नया डेथ वॉरंट जारी होने पर वकील एपी सिंह ने कहा था, 3 मार्च को भी दोषियों को फांसी नहीं होगी। उनके इस बयान की सोशल मीडिया में काफी आलोचना हुई। निर्भया के पिता ने भी कहा था कि एपी सिंह पागल हो गए हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब एपी सिंह को ऐसे विरोधों का सामने करना पड़ा हो। साल 2013 में तो उन्हें एक महिला ने कोर्ट के बाहर ही चप्पल से पीटने की कोशिश की थी। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 19, 2020 7:29 AM IST / Updated: Feb 19 2020, 01:07 PM IST

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जब निर्भया के दोषियों को मौत से बचाने वाले वकील को मारी थी चप्पल, फाड़ दिए थे कपड़े, ऐसी है कहानी
11 सितंबर 2013 को दिल्ली के साकेत कोर्ट के बाहर वकील एपी सिंह मीडिया को संबोधित कर रहे थे। तभी वहां मौजूद एक महिला ने उनपर चप्पल फेंकने की कोशिश की।
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महिला ने एपी सिंह की तरफ चप्पल फेंकने की कोशिश की। वहां मौजूद वकीलों ने उसे रोक दिया। तब उसने कहा था, घर के बाहर महिलाओं का निकलना मुश्किल हो गया है।
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अनिता नाम की महिला ने कहा था, महिलाएं सुरक्षित नहीं रह गई हैं। फिर भी कोई वकील वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों का केस क्यों लड़ रहा है?
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अनिता, वकील एपी सिंह से उलझ गई थी। झड़प के दौरान उसने वकील की शर्ट भी फाड़ दी थी।
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किसी तरह पुलिसकर्मियों ने अनिता को वहां से हटाया ही था कि वह अदालत परिसर में मौजूद मुकेश के वकील वीके आनंद के पास पहुंच गई और उनको भी खरी-खोटी सुनाने लगी।
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पुलिस ने अनिता को पकड़कर गेट के बाहर कर दिया। इस मामले में किसी की तरफ से पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
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2 बार टल चुकी है फांसी : निर्भया के चारों दोषियों के लिए यह तीसरी बार डेथ वॉरंट जारी किया गया है। इससे पहले 22 जनवरी को चारों दोषियों को फांसी दी जानी थी, लेकिन दोषियों की याचिका की वजह से उसे रद्द करना पड़ा। अगला डेथ वॉरंट जारी हुआ। फांसी की तारीख 1 फरवरी की सुबह 6 बजे तय की गई। लेकिन दोषियों की याचिका के बाद इसे भी रद्द कर दिया गया।
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दोषियों के पास कितने विकल्प बचे हैं?
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निर्भया के साथ क्या हुआ था? : दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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