मौत से बचने के लिए हर दांव चल रहे निर्भया के दोषी, ऐसा हुआ तो 1 फरवरी को भी नहीं हो सकेगी फांसी!

नई दिल्ली. सात साल से निर्भया को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही निर्भया की मां को सफलता मिली भी तो अब यह कानून अड़चनों में उलझी हुई दिख रही है। 7 जनवरी को जारी हुए डेथ वारंट में 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी। लेकिन दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग कर तारीख को आगे बढ़वा ली। जिसके बाद पटियाला कोर्ट ने 17 जनवरी को निर्भया के दरिंदों की मौत के लिए नई तारीख 1 फरवरी की सुबह 6 बजे का समय मुकर्रर किया है। लेकिन इस पर भी कानून दांव पेंच से टलने के बादल मंडरा रहे हैं। जेल मैन्यूअल के मुताबिक किसी भी दोषी की याचिका लंबित रहती है तो उस स्थिति में चारों दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2020 3:52 AM IST

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मौत से बचने के लिए हर दांव चल रहे निर्भया के दोषी, ऐसा हुआ तो 1 फरवरी को भी नहीं हो सकेगी फांसी!
तीन दोषियों के पास अभी भी बचे हैं विकल्पः दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा मिली है और इनमें से एक भी अपील करता है तो इस स्थिति में सभी दोषियों की फांसी पर तब तक रोक लगी रहेगी, जब तक अपील पर फैसला नहीं हो जाता। ऐसे में अभी तीन दोषियों के पास अपील करने का पूरा विकल्प मौजूद है। ऐसे में यह आशंका जाहिर की जा रही है कि दोषी मौत से बचने के लिए याचिका दाखिल करेंगे। (निर्भया के दोषियों की फाइल फोटो)
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लूट का फैसला लंबितः दरिंदों को 1 फरवरी को इसलिए भी फांसी चढ़ाने पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। क्योंकि दरिंदों के वकील एपी सिंह ने बताया कि मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता का नाम लूट के एक मामले में भी है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगस्त, 2015 में दिल्ली कोर्ट ने राम आधार नाम के एक बढ़ई के यहां लूट के मामले में चारों को दोषी ठहराया था और इन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ चारों ने तब हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां यह मामला लंबित है। (निर्भया के दोषियों को पेशी के दौरान ले जाती पुलिस,फाइल फोटो)
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दरिंदों के पास यह है विकल्पः मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद अभी बाकी के तीन दोषियों अक्षय, पवन और विनय के पास दया याचिका का विकल्प बचा है। अक्षय और पवन के पास दया याचिका से पहले सुधारात्मक याचिका का भी विकल्प है। जब तक किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित रहेगी, तब तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती। दोषियों वकील एपी सिंह के मुताबिक अन्य दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के लिए उन्होंने तिहाड़ और प्रशासन को पत्र लिखे हैं, जैसे ही उन्हें दस्तावेज मिलते हैं, तब वह आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे। (तिहाड़ जेल के सेल की फाइल फोटो)
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मुकेश के पास कोई विकल्प नहींः राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद निर्भया के दोषियों में शामिल मुकेश के पास अब फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद हो गया। उसने 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थी। मुकेश इस मामले के अन्य तीन दोषियों के साथ तिहाड़ जेल के विशेष वार्ड में बंद है। इस दरिंदगी के एक अन्य दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी राष्ट्रपति के पास पहुंची थी, लेकिन उसने बाद में यह कहते हुए अर्जी वापस ले ली थी कि इसके लिए उसकी राय नहीं ली गई थी। (जेल में बंद दैनिक कार्यों को करते दोषियों की फाइल फोटो)
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क्या है पूरा मामलाः दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। (निर्भया के दो दोषियों की फाइल तस्वीर)
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जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (निर्भया की मां और पिता जी की फाइल फोटो)
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