उनके पिता ने एक अखबार से बात करते हुए बताया था कि उनकी प्रेरणा से संतोष ने सेना में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने आंध्र प्रदेश के सैनिक स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद एनडीए और फिर आईएमए गए। 15 साल के सेवाकाल में संतोष बाबू को चार प्रमोशन मिले। कुपवाड़ा में आतकंवादियों से बहादुरी के साथ मुकाबला करने पर सेना प्रमुख की तरफ से उनको सराहना भी मिली थी। संतोष बाबू के पिता को देश की खातिर जान न्योछावर करनेवाले बेटे की वीरगति पर गर्व है।