नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने की घटना ने सबको हैरान कर दिया है। किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी समर्थक सिखों ने जिस तरह हिंसा फैलाई, पुलिसवालों पर हमला किया, वो सतर्क करती है। 1980 के दशक में पंजाब में खून-खराब करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों के फिर से सिर उठाने की कहानी 15 अगस्त, 1947 में हुए बंटवारे से शुरू होती है। बंटवारे के बाद पंजाब राज्य का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। बंटवारे में हिंदू-मुस्लिमों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन सिखों को जैसे सदमा लगा। लाहौर को कभी सिख साम्राज्य की राजधानी कहा जाता था, लेकिन वो मुस्लिम राष्ट्र के खाते में चला गया। इस घटना ने सिखों के दिलो-दिमाग में अलग राष्ट्र की मांग जोर पकड़ ली।