क्या है निर्भया के दादा का सपना, जिसे पूरा करने के लिए रोते हुए कहा था, मैं मर रहा हूं, शायद...

नई दिल्ली. सात साल से न्याय का इंतजार कर रहे निर्भया के परिवार का अब इंतजार का दौर थम गया है। दोषियों की मौत की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। शुक्रवार की अल सुबह 5.30 बजे दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट पर चौथी बार रोक लगाने से इंकार दिया है। जिसके बाद निर्भया के दादा का यह सपना पूरा होने जा रहा है। निर्भया के दादा ने कहा था मैं अपनी बेटी के दोषियों को फांसी पर लटकते हुए देखना चाहता हूं। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 12:15 PM IST / Updated: Mar 19 2020, 06:06 PM IST

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क्या है निर्भया के दादा का सपना, जिसे पूरा करने के लिए रोते हुए कहा था, मैं मर रहा हूं, शायद...
कहा था-जीते जी दरिंदों को मरता हुआ देखना चाहता हूं: दोषियों को कानूनी दांव पेंच के चलते तीन बार फांसी टलने से नाराज दादा ने कहा था, 'अब न्याय मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है। अब लगता है कि मैं अपने जीते-जी दरिंदों को फांसी पर लटकते देख नहीं पाऊंगा।
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तीन बार टल चुकी है फांसी: निर्भया की मां आशा देवी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों का डेथ वारंट जारी करने की याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया। लेकिन दोषियों के कानूनी पैंतरेबाजी के कारण मौत की तारीख टल गई। (फाइल फोटोः निर्भया के चारों दोषी, जिन्हें कल फांसी दी जानी है।)
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नहीं बचा है कोई कानूनी विकल्प: निर्भया के दोषियों के फांसी से बचने के लिए सारे कानून विकल्प खत्म हो गए है। हालांकि दोषी बचने के लिए कोई न कोई तरकीब खोज ही ले रहे हैं। लेकिन चारों दोषियों को मिलने वाले कानूनी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो गए हैं। अभी तक दोषी इन्हीं विकल्पों के कारण बचते आए है। बावजूद इसके चारों दोषी लगातार कोई न कोई याचिका दाखिल कर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
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नहीं बचा है कोई कानूनी विकल्प: निर्भया के दोषियों के फांसी से बचने के लिए सारे कानून विकल्प खत्म हो गए है। हालांकि दोषी बचने के लिए कोई न कोई तरकीब खोज ही ले रहे हैं। लेकिन चारों दोषियों को मिलने वाले कानूनी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो गए हैं। अभी तक दोषी इन्हीं विकल्पों के कारण बचते आए है। बावजूद इसके चारों दोषी लगातार कोई न कोई याचिका दाखिल कर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
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क्या है पूरा मामला ? दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
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पटियाला और सुप्रीम कोर्ट दोनों जगहों से मिला झटका: निर्भया के दोषियों के मौत से बचने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जिसके बाद जारी डेथ वारंट के मुताबिक शुक्रवार की सुबह 5.30 बजे दोषियों को फांसी दी जाएगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी मुकेश की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि दोषियों ने सभी कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर लिया है, जिसके बाद अब इस पर कोई विचार नहीं किया जा सकता है।
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