नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सबरीमाला पर अपने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले को 7 जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया। बेंच ने 3:2 के बहुमत से इस पर फैसला किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि महिलाओं का पूजा स्थलों में प्रवेश सिर्फ इस मंदिर तक सीमित नहीं है, यह मस्जिदों और पारसी मंदिरों पर भी लागू होता है। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से 10-50 साल की महिलाओं को केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। इससे पहले 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी, यह परंपरा 800 साल पुरानी थी। कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ 54 पुनर्विचार समेत 64 याचिकाएं दायर की गई थीं। हम इस मौके पर सबरीमाला के बारे में 10 फैक्ट बता रहे हैं।