ओडिशा: एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट की कहानी, जो कॉलेज की फीस भरने के लिए मनरेगा में मजदूरी कर रही
इंजीनियरिंग कॉलेज की बकाया फीस भरने के लिए 20 साल की लड़की मनरेगा में मजदूरी कर रही है। मामला ओडिशा के पुरी जिले के पिपली गांव का है। यहां 20 दिन से रोजी बेहरा नाम की लड़की मनरेगा में काम कर अपने पिता की मदद करती है और खुद की फीस भरने के लिए रात-दिन मजदूरी कर रही है।
रोजी बेहरा मनरेगा में काम कर रही है। वह अपने गांव में एक सड़क बनाने के लिए खेतों से मिट्टी उठाना और उसे ले जाने का काम करती है। बदले में उसे हर दिन 207 रुपए मिलते हैं। रोजी की पांच बहनें हैं। उनमें से दो बहनें इंजीनियरिंग कॉलेज की बकाया फीस भरने में उसकी मदद कर रही हैं। एक बहन बीटेक कर रही है। दूसरी कक्षा 12 की छात्रा है। उसकी दो सबसे छोटी बहनें कक्षा 7 और कक्षा 5 में हैं।
सुबह होते ही तीनों बहनें फावड़ा लेकर निकल पड़ती हैं। दिन भर काम करती हैं। यही उनकी दिनचर्या बन गई है। उनका मानना है कि वे महीनों तक ऐसे ही काम करके अपनी बहन की बकाया फीस को चुका देंगी, जिसके बाद कॉलेज इंजीनियरिंग का सर्टिफिकेट दे देगा। रोजी बेहरा ने कहा, मैंने 2019 में एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में अपना डिप्लोमा पूरा किया है। मेरा 44,000 रुपए का बकाया है। मेरे पिता मुश्किल से 20,000 रुपए जुटा पाए, लेकिन मैं बाकी का प्रबंधन नहीं कर सकी। डेढ़ साल से अधिक समय तक बेकार रहने के बाद, मैंने कम से कम 3 महीने के लिए मनरेगा में मजदूर के रूप में काम करने का फैसला किया, ताकि मैं अपने कॉलेज की फीस चुका सकूं।
रोजी ने कहा, हम पांच भाई-बहन हैं और मेरे पिता परिवार में एकमात्र कमाने वाले हैं। वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। पांच बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठाना उसके लिए बहुत कठिन है। इसलिए मैंने काम करने का फैसला किया। पुरी कलेक्टर सामंत वर्मा ने कहा- हम मामले की पड़ताल कर रहे हैं। हमारे अधिकारी उस लड़की से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आगे की शिक्षा के लिए भी सभी इंतजाम किए जाएंगे।