अनंत कहते हैं, 'पहले मेरे परिवार के पास जमीन का यह टुकड़ा था और कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं था। हमारी सारी जद्दोजेहद 'दो वक्त के खाने' तक थी। लेकिन जब मुझे नौकरी मिल गई और मैं भारत के लिए खेला, अब पूरे गांव को मुझ पर गर्व है। हमें लोग पहचानते हैं। लोग मेरे माता-पिता को इज्जत से पेश आते हैं।'