दुबले पतले शरीर वाली रानी को देखकर कोच ने भी उन्हें कुपोषित कहकर रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि रानी में खेलने का स्टैमिना नहीं है। लेकिन रानी भी कहां मानने वालों में से थी, उन्होंने हॉकी खिलाड़ी बनने का जो सपना देखा उसे कड़ी मेहनत कर पूरा किया। उस समय रानी के पास खुद की हॉकी स्टिक भी नहीं हुआ करती थी। ऐसे में एक बार एकेडमी में उन्हें टूटी हुई हॉकी स्टिक मिली जिसे जोड़कर उन्होंने प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया।