ऑटो चलाते थे पिता, बेटी ने घर की गरीबी दूर करने के लिए उठाया धनुष और बनीं दुनिया की नंबर-1 तीरंदाज

स्पोर्ट्स डेस्क : कोरोनावायरस महामारी के कारण एक साल की देरी से चल रहे टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) शुक्रवार से शुरू हो गया। 120 से ज्यादा एथलीट भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पहला मैच महिला व्यक्तिगत रैंकिंग राउंड का हुआ। जिसमें दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी (deepika kumari) को हार का सामना करना पड़ा। मैच के दौरान उन्होंने कमबैक करने की कोशिश की लेकिन कोरिया की एन सैन ने शुरुआत के बढ़त बनाकर रखी और मैच में जीत हासिल की। दीपिका ने 9वें नंबर पर रहते हुए 663 अंक हासिल किए। वहीं, एन सैन ने 680 अंक के साथ ये मैच जीत लिया। बता दें कि 27 साल की दीपिका कुमारी का तींरदाज बनने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ, उन्होंने काफी मुश्किलों का सामना किया। आइए आपको बताते हैं, इस खिलाड़ी की संघर्ष की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Jul 23, 2021 2:19 AM IST

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ऑटो चलाते थे पिता, बेटी ने घर की गरीबी दूर करने के लिए उठाया धनुष और बनीं दुनिया की नंबर-1 तीरंदाज

झारखंड के चांडिल-गम्हरिया वन क्षेत्र में स्थित छोटे से शहर खरसावां की रहने वाली दीपिका का तीरंदाज बनने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ।

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दीपिका कुमारी को शुरुआती दिनों में आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा था। उनके पिता एक ऑटो ड्राइवर और मां नर्स थी। लेकिन उनके पिता ने उनके तीरंदाज बनने का सपना देखा। उन्हीं की जिद ही थी कि आज वह दुनिया की नंबर वन तीरंदाज हैं।

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दीपिका ने 12 साल की उम्र में इस खेल से जुड़ने का फैसला किया था। उनके पिता शिवनारायण और मां गीता माहतो उन्हें अर्जुन मुंडा अकादमी में लेकर गए। अकादमी की संचालक और मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने दीपिका को देखकर कहा, 'तुमसे तो भारी धनुष है, तुमसे यह सब नहीं होगा।' जब वह ट्रायल के लिए गई, तो उन्हें अकादमी में जगह नहीं मिली थी।

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लेकिन दीपिका ने तीन महीने में खुद को साबित करने की चुनौती ली और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने खरसावां की अर्जुन मुंडा अकादमी से अपने करियर की शुरुआत की और फिर जमशेदपुर स्थित टाटा तीरंदाजी अकादमी (टीएए) में तीरंदाजी के गुर सीखें। दीपिका ने टीएए में लगभग 11 साल बिताए।

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दीपिका कुमारी ने 2007 में जबलपुर में सब-जूनियर नेशनल में अपना डेब्यू किया, लेकिन वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन विजयवाड़ा में उन्होनें गोल्ड मैडल जीतकर पहली बार सफलता का स्वाद चखा।

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इसके बाद उन्होंने कभी मुंडकर नहीं देखा। अब तक वह कई मैडल जीत चुकी हैं। दीपिका ने साल 2010 में दिल्ली में खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके बाद 2012 के लंदन ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा लिया लेकिन खास प्रदर्शन नहीं कर सकीं। उन्होंने तीसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लिया। 

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हालांकि, टोक्यो ओलंपिक 2020 के पहले दिन महिला तीरंदाजी के रैंकिंग राउंड में दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी को हार का सामना करना पड़ा। मैच के दौरान उन्होंने कमबैक करने की कोशिश की लेकिन कोरिया की एन सैन ने शुरुआत के बढ़त बनाकर रखी और मैच में जीत हासिल की। दीपिका ने 9वें नंबर पर रहते हुए 663 अंक हासिल किए।

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इसी साल पेरिस में हुए वर्ल्ड कप में दीपिका ने रिकॉर्ड तीन गोल्ड मैडल जीते थे। वह फिलहाल नंबर-1 महिला तीरंदाज हैं। 2012 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। वहीं, 2016 में पद्मश्री से भी उन्हें नवाजा जा चुका है।

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