दीपिका ने 12 साल की उम्र में इस खेल से जुड़ने का फैसला किया था। उनके पिता शिवनारायण और मां गीता माहतो उन्हें अर्जुन मुंडा अकादमी में लेकर गए। अकादमी की संचालक और मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने दीपिका को देखकर कहा, 'तुमसे तो भारी धनुष है, तुमसे यह सब नहीं होगा।' जब वह ट्रायल के लिए गई, तो उन्हें अकादमी में जगह नहीं मिली थी।