पिता की नाराजगी, कंधे में चोट-जला हाथ भी नहीं तोड़ पाया मुक्केबाज का सपना, अब लाने वाली है देश के लिए मेडल

स्पोर्ट्स डेस्क : कहते हैं एक खिलाड़ी की जिंदगी संघर्षों से भरी हुई रहती है। उन खिलाड़ियों की जिंदगी हमें और ज्यादा मोटिवेशनल लगती है, जो कठिनाइयों से निकलकर अपनी जीत की जिद पूरा करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है भारतीय महिला मुक्केबाज पूजा रानी की। जिन्होंने हाल ही में मुक्केबाजी के राउंड-16 के मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए अल्जेरिया की इचराक चाएब को हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। अब पूजा रानी (Pooja Rani) से मेडल की उम्मीद है। उनकी जीत की दुआ पूरा देश कर रहा है, लेकिन एक समय ऐसा था, जब इस खिलाड़ी के पिता ही उसके बॉक्सिंग करने के खिलाफ थे। जला हाथ और कंधे की चोट के चलते उनके बॉक्सिंग करियर खत्म होने की कगार पर आ गया था। फिर किस तरह पूजा रानी ने अपने जीत की जिद के आगे कठिनाइयों को पार किया, आइए आपको बताते हैं...

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2021 1:13 AM IST / Updated: Jul 29 2021, 09:57 AM IST
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पिता की नाराजगी, कंधे में चोट-जला हाथ भी नहीं तोड़ पाया मुक्केबाज का सपना, अब लाने वाली है देश के लिए मेडल

मशहूर बॉलीवुड फिल्म दंगल का डायलॉग है कि 'म्हारी छोरी क्या छोरों से कम है के', आज यही बात इंडियन बॉक्सर पूजा रानी के पिता के मन में भी आ रही होगी कि वाकई उनकी बेटी ने वो करके दिखाया जिसकी कल्पना भी उन्होंने कभी की नहीं थी और बॉक्सिंग को लेकर ये तक कह दिया था, कि ये खेल तुम्हारे लिए नहीं है। 

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दरअसल, हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली पूजा रानी के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी बॉक्सिंग करें। उन्हें लगता था कि मुक्केबाजी आक्रामक लोगों के लिए ही है। एक इंटरव्यू के दौरान पूजा रानी ने बताया था कि 'मेरे पिता का मानना था कि यह खेल मेरे लिए नहीं है क्योंकि उन्हें लगता था कि मुक्केबाजी केवल गुस्सैल लोग ही करते हैं। उन्होंने कहा था कि मर जाओगी।'

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पूजा के पिता एक पुलिस ऑफिसर थे, जो उनकी बॉक्सिंग के खिलाफ थे। लेकिन बेटी की सच्ची लगन और मेहनत के आगे उन्हें भी हाथ खड़े करने पड़े। पूजा रानी ने मार्च 2020 में आयोजित एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालिफायर के सेमीफाइनल में पहुंचकर टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल किया और टोक्यो खेलों के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय बॉक्सर बनीं।

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हालांकि, इस खिलाड़ी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें लगने लगा कि उनका बॉक्सिंग करियर खत्म हो जाएगा, क्योंकि रियो ओलंपिक 2016 में वह जगह नहीं बनाई पाई थी। उसी साल पटाखे जलाते हुए उनका हाथ जल गया था जिससे उबरने में उन्हें 6 महीने का समय लगाया और उसके तुरंत बाद 2017 में उनके कंधे पर चोट आ गई जिससे उन्हें लगने लगा कि वह दोबारा रिंग में वापसी नहीं कर पाएंगी।

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लेकिन खिलाड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और कड़ी मेहनत कर इस मुकाम पर आकर खड़ी हो गई है। हाल ही में भारतीय बॉक्सर पूजा रानी ने टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में अपनी जीत का लोहा मनवाया। दो बार की एशियाई चैंपियन भारतीय मुक्केबाज पूजा रानी (75 किग्रा) ने ओलंपिक में अपने पहले मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की। बुधवार को उन्होंने अल्जीरिया की इचराक चाएब को 5-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में एंट्री की। अब सिर्फ एक जीतने वाला पंच ही उन्हें मेडल दिलाएगा। 

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पूजा रानी अब 31 जुलाई को क्वार्टर फाइनल में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता, दो बार की एशियाई चैंपियन और पूर्व वर्ल्ड गोल्ड मेडल विजेता चीन की ली कियान से भिड़ेंगी। चीन की 31 वर्षीय मुक्केबाज का पूजा के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड है। उन्होंने 2014 एशियाई खेलों के सेमीफाइनल और पिछले साल जॉर्डन में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में भी भारतीय मुक्केबाज को हराया था।

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