स्पोर्ट्स डेस्क : कहते है ना हर गम ने, हर सितम ने, नया हौसला दिया, मुझको मिटाने वाले ने मुझको बना दिया। ये लाइन टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics 2020) में भारत के लिए दूसरा गोल्ड मेडल जीतने वाले सुमित अंतिल (Sumit Antil) पर बखूबी जचती है। जिन्होंने 7 साल की उम्र में अपने पिता को खोया और 16 साल की उम्र में अपना एक पैर। उनकी जिंदगी में कितनी भी दुख तकलीफ आई, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज उनकी इसी मेहनत का फल उन्हें जो टोक्यो पैरालंपिक 2020 में मिला। जी हां, सुमित ने सोमवार को जेवलिन थ्रो (javelin throw) में 68.55 मीटर दूर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। आइए आज हम आपको बताते हैं इस एथलीट के संघर्ष की कहानी की किस तरह पूरी तरह से टूट जाने के बाद भी सुमित ने अपना हौसला नहीं टूटने दिया...