17 साल की लड़की मरकर भी बचा गई कई जिंदगी, मौत के बाद लोग बोले-अमर हो गई..हर मां-बाप को मिले ऐसी बेटी

वडोदरा (गुजरात). मरने के बाद इंसान का ये हाड़-मांस का शरीर जलकर खाक हो जाता है। सिर्फ राख रह जाती है। लेकिन जाते-जाते हम अगर किसी को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा और कोई पुण्य नहीं। गुजरात के वडोदरा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक 17 साल लड़की अपने शरीर के अंगों को डोनेट करके कई लोगों को जीवनदान दिया है। पढ़िए दिल को छू जाने वाली ये कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Dec 24, 2020 2:33 PM IST
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17 साल की लड़की मरकर भी बचा गई कई जिंदगी, मौत के बाद लोग बोले-अमर हो गई..हर मां-बाप को मिले ऐसी बेटी


दरअसल, मरकर भी दूसरे लोगों को जीवनदान देने अनूठी मिसाल पेश करने वाली यह लड़की 17 वर्षीय नंदिनी है। जिसकी 18 दिसंबर को अचानक तबीयत खराब हो गई थी। तीन दिन तक इलाज चलने के बाद वह ब्रेन डेड हो गई। नंदिनी की  अंतिम इच्छा थी कि उसके मरने के बाद उसके शरीर के सारे अंग दान कर दिए जाएं। ताकि किसी जरुरतमंद की इंसान की जान बच जाए।

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अपनी बेटी की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए निंदिनी के माता पिता ने वडोदरा के सविता अस्पताल में बेटी के हार्ट, लंग्स, किडनियां, लीवर और दोनों आंखें दान में दी गईं। बता दें कि वडोदरा का ऐसा पहला मामला है, जहां एक साथ किसी एक शरीर के 7 अंगों को दान किया गया हो। डॉक्टरों ने कहा कि सफल सर्जरी के बाद ग्रीन कॉरिडोर से हार्ट दिल्ली और लंग्स मुंबई पहुंचा दिए हैं। वहीं दोनों आंखें और दोनों किडनियां, लीवर को अहमदाबाद के आईकेडी अस्पताल में पहुंचा दिए हैं।

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भावुक होकर नंदिनी की मां क्रिमाबेन शाह ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही दूसरों की लिए जीती थी। इसलिए वह अपने अंतिम समय भी दूसरों की जिंदगी बचा गई। उन्होंने कहा हमने दिल पर पत्थर रखकर नंदिनी की अंतिम इच्छा के लिए उसके शरीर के सारे अंग दान कर दिए। मेरे रहते मैंने अपनी ही बेटी के अंग दान कर दिए। उन्होंने बताया कि वह मेरी बड़ी बेटी थी। जबकि उससे छोटा एक बेटा है। वह बड़ा होकर ब्यूटीशियन बनना चाहती थी। (बिलखती हुई नंदिनी की मां क्रिमाबेन शाह)

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वहीं नंदिनी के पिता नीरज शाह ने कहा कि जब बेटी की अचानक तबीयत खराब हुई तो पहले उसे हम हालोल शहर के निजी अस्पताल लेकर चले गए। लेकिन हालत बिगड़ने के बाद उसे वडोदरा के सविता अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। काफी इलाज होन के बाद बुधवार को डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। नंदिनी मेरी सबसे बहादुर बच्ची थी, बचपन में भी वो बड़े जैसे बातें करने लगी थी। सब कहते थे कि तुम्हारी बेटी एक दिन नाम रोशन करेगी। लेकिन जाते जाते ऐसा नाम करेगी यह नहीं सोचा था। (अपने माता-पिता और भाई के साथ नंदिनी, फाइल फोटो)

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