दिल दहलाने वालीं ये 21 तस्वीरें भुज में 19 साल पहले आए भूकंप की हैं, जब लोग इससे उठ खड़े हुए तो कोरोना क्या है

अहमदाबाद/नई दिल्ली. ये तस्वीरें 26 जनवरी, 2001 में गुजरात के भुज और कच्छ के अलावा अहमदाबाद में आए विनाशकारी भूंकप की हैं। 6.9 रिएक्टर की तीव्रता वाले इस भूकंप ने मानों गुजरात को हिलाकर रख दिया था। भुज और कच्छ बर्बाद हो गया था। आखिरी आंकड़े बताते हैं कि अकेले भुज और कच्छ में ही 12000 लोगों की मौत हो गई थी। घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे। इस त्रासदी में 167,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। भुज और कच्छ में 400,000 से ज्यादा घर मिट्टी में मिल गए थे। पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री मोदी लॉकडाउन फेज-4 से पहले राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे, तब उन्होंने इस भूकंप का जिक्र किया था। कहना यही था कि जब लोग इस भयंकर त्रासदी से उठ खड़े हुए, तो कोरोना को भी पराजित कर देंगे। यह सही भी है। यह भारतीयों की ताकत ही है, जो भुज जैसी तमाम त्रासदियों को झेलने के बाद भी टूटे नहीं, जोश से जिंदगी जी रहे हैं। आइए दिखाते हैं भुज-कच्छ में आए विनाशकारी भूकंप के बाद की कुछ तस्वीरें, मकसद है कि मुसीबतों से डरे नहीं, डटकर खड़े रहें...

Asianet News Hindi | Published : May 30, 2020 8:34 AM IST / Updated: May 30 2020, 02:30 PM IST
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दिल दहलाने वालीं ये 21 तस्वीरें भुज में 19 साल पहले आए भूकंप की हैं, जब लोग इससे उठ खड़े हुए तो कोरोना क्या है

बता दें कि 2001 में जब भुज में विनाशकारी भूकंप आया था, तब गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल थे। लेकिन कुछ राजनीतिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से उन्हें हटाकर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। भूकंप ने भुज को पूरी तरह तबाह कर दिया था।

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पिछले दिनों जब मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने भुज-कच्छ के अपने दौरों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि भुज में हर तरफ मलबा ही मलबा था। यूं लगा रहा था जैसे कच्छ मौत की चादर ओढ़कर सो गया हो।

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मोदी ने भूकंप का जिक्र करते हुए कहा था कि उन हालात के बारे में अब कोई सोच भी नहीं सकता। लेकिन हम ठान लें, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। भूकंप से लोग फिर उठ खड़े हुए। मोदी का आशय कोरोना से लड़ाई को लेकर था।

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याद रहे कि जब 26 जनवरी, 2001 को देश सुबह गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा था, तभी भूकंप ने गुजरात खासकर कच्छ-भुज को हिलाकर रख दिया था।

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गुजरात के दो जिलों कच्छ और भुज में 6.9 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था। 

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भूकंप में 167,000 लोग मलबे में दबकर घायल हो गए थे।

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भूकंप सिर्फ 2 मिनट आया था, लेकिन इतने ही वक्त में मौत ने तांडव मचा दिया था। कच्छ-भुज में ही 12,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

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2 मिनट के भूकंप ने  करीब 4 लाख घरों की नींव हिला दी थीं।

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अनुमान लगाया गया था कि भूकंप से करीब 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

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बता दें कि भुज भूकंप के केंद्र से सिर्फ 12 किमी दूर बसा शहर है। भूकंप से भचाऊ और अंजार भी बुरी तरह प्रभावित हो गए थे।

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भूकंप के बाद पूरा देश गुजरात की मदद के लिए आगे आया था। जैसे आज वॉरियर्स जी-जान से लोगों को कोरोना से बचा रहे, तब घायलों की मदद कर रहे थे।

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भूकंप ने कुछ ही सेकंड में बड़ी-बड़ी इमारतों को मिट्टी में मिला दिया था।

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बड़ी संख्या में वॉलिंटियर लोगों की मदद के लिए गुजरात पहुंचे थे।

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यह तस्वीर अहमदाबाद है। 2001 में आए भूकंप ने गुजरात को मानों जड़ से हिला दिया था। खासकर भुज तो जमींदोज हो गया था।

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गुजरात को मरहम लगाने भारतीय सेना भी जी-जान से जुट गई थी।

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भुज में 40 प्रतिशत घर नष्ट हो गए थे। इनमें ऐतिहासिक धरोहरें भी शामिल थीं।

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एक साथ कई चिताएं जलते देखकर किसी को भी रोना आ सकता है, ये तो फिर उनके अपने थे।

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भूकंप से ऐसे हिल गई थीं ऐतिहासिक इमारतें।

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कई लाशें तो ऐसी थीं, जिनकी पहचान तक नहीं हो पाई थी। उन्हें दूसरों ने अग्नि दी।

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मलबे में फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए सेना की मदद ली गई थी।

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जब भूकंप से भुज-कच्छ उड़ खड़ा हुआ, तो कोरोना को हराना कोई बड़ी बात नहीं।

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