हाय रे कोरोना..पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं आ सका इकलौता बेटा, फोन पर मां की चीखें सुन रोता रहा
देहरादून (उत्तराखंड). कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया खौफ में जी रही है। लॉकडाउन होने के बाद से देश में रोज दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरें और खबरें सामने आ रही हैं। आलम यह है कि ये वायरस ऐसी मौत लेकर आ रहा है कि लोग अपनों को कंधा तक नहीं दे पा रहे।। ऐसी ही एक दुखद घटना उत्तराखंड से सामने आई है। जहां एक 63 साल के बुजुर्ग की लंबे वक्त से बीमारी की वजह से शुकवार रात निधन हो गया। लेकिन दुखद बात यह है कि कोरोना वायरस के चलते मृतक का इकलौता फौजी बेटा पिता को मुखाग्नि नहीं दे सका। लॉकडाउन के कारण वह अपने गांव नहीं आ सका। मां से मोबाइल पर बात कर रोता रहा और कहता रहा पापा माफ कर देना में आपके अंतिम संस्कार में भी नहीं आ सका।
Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2020 8:24 AM IST / Updated: Mar 29 2020, 03:11 PM IST
दरअसल, शुक्रवार रात हल्द्वानी के रहने वाले नारायण दत्त पाठक का निधन हो गया था। उनका इकलौता बेटा लीलाधर पाठक इंडियन आर्मी में नौकरी करता है। फिलहाल वह अरुणाचल प्रदेश में नायक के पद पर तैनात है। जैसे ही परिवार के लोगों ने बेटे को फोनकर पिता के निधन की खबर दी तो वह चाहकर भी अंतिम बार पिता की झलक देखने नहीं आ सका। क्योंकि लॉकडाउन के चलते सभी बस-ट्रेन और हवाई सेवाएं सरकार ने बंद कर रखी हैं। सिर्फ मां से मोबाइल पर बात कर रोते हुए अपनी बेबसी और दुखड़ा सुनाता रहा।
बेटे के नहीं आने के बाद मृतक के भाई कैलाश पाठक और गणेश पाठक ने बड़े भाई को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में पहुंचे आसपास के लोग भी मुंह पर मास्क लगाकर एक-दूसरे से दूरी बनाकर शमशान में खड़े रहे।
ऐसी ही एक दुखद घटना 28 मार्च को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से सामने आई थी। जहां राजकुमार नेताम एसएसबी में हवलदार हैं और वह इन दिनों नेपाल बॉर्डर पर ड्यूटी कर रहे हैं। इसी बीच उनके एक साल के बेटे आदित्य की ट्यूमर के चलत मौत हो गई। बेबस पिता कोरोना और लॉकडाउन ने पिता को इतना बेबस कर दिया कि वे सालभर के अपने मासूम बेटे की अंतिम यात्रा में भी शामिल नहीं हो पाए। वीडियो कॉलिंग पर अंतिम बार देखा, देखते ही बिलख पड़े और कहा- लव यू बेटा, मुझे माफ करना मैं तुमसे मिलने नहीं आ सका।
लॉकडाउन के बीच यह दुखद तस्वीर मध्य प्रदेश के मुरैना से सामने आई है। जहां 39 साल के रणवीर सिंह दिल्ली से अपने घर मुरैना आने के लिए पैदल निकला था। लेकिन आगरा के सिकंदरा थाने में उसकी मौत हो गई।
ऐसी ही एक घटना 27 मार्च को वराणसी में हुई थी। जहां एक महिला की अचानक मौत हो गई थी। लेकिन, उसका बेटा रायपुर में रहता था। बेटे को जैसे अपनी मां के निधन के बारे में पता चला तो वह मां का आखिरी बार चेहरा देखने के लिए पैदल ही चल पड़ा।
ऐसी ही यह एक तस्वीर 27 मार्च को सामने आई थी। जहां हरियाणा के यमुनानगर जिले के रहने वाले 48 साल के विपिन की कोरोना के चलते मौत हो गई थी। उसका अंतिम संस्कार घरवाले चाहकर भी नहीं कर सके। विपिन के भाई ने कहा था कि वह नहीं चाहते थे कि यहां शव लाकर संक्रमण का खतरा बढ़ाया जाए।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने पूरे देश को 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन कर दिया है। यह लॉकडाउन इस महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए किया गया है, पर अब इसी के कारण लोगों की मौत हो रही है। लॉकडाउन के कारण अपने घर लौट रहे 13 लोग अलग अलग हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें एक डिलिवरी ब्वॉय भी शामिल है, जिसने 200 किलोमीर पैदल चलने के बाद दम तोड़ दिया। इसके अलावा 12 अन्य लोगों की एक्सीडेंट में मौत हो गई। ये सभी लोग अपने घर से दूर काम करते थे, पर लॉकडाउन की वजह से इनका काम बंद था और सभी तरह का परिवहन बंद होने के कारण ये लोग पैदल ही अपने घर को लौट रहे थे।