थोड़ी देर मेरी बेटी को पकड़ेंगे..मैं सीट देखकर आता हूं..इसके साथ ही ट्रेन से कूद गया युवक
मां-बाप अगर निष्ठुर हो जाएं, तो उनके लिए बेटी हो या बेटा कोई मायने नहीं रखता। कारण कुछ भी हो, लेकिन नवजात को मां की ममता से दूर करना..मरने के लिए लावारिश छोड़ना कहीं से भी उचित नहीं है। यहां हम आपको पत्थर दिल मां-बाप और उनके ठुकराए बच्चों की कहानियां बता रहे हैं। पहली कहानी उत्तराखंड के रुद्रपुर की है। यहां एक युवक चलती ट्रेन में एक नवजात बच्ची को छोड़कर गायब हो गया। गनीमत रही कि यात्रियों ने तत्काल पुलिस को सूचित किया और बच्ची को हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया। युवक एक यात्री को बच्ची सौंपकर सीट देखने के बहाने गायब हो गया था। पुलिस कीे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। पुलिस CCTV फुटेज के आधार पर युवक की तलाश कर रही है।
पहली तस्वीर उत्तराखंड के रुद्रपुर रेलवे स्टेशन पर मिली बच्ची की है। कड़कड़ाती ठंड में रविवार रात रानीखेत एक्सप्रेस में यह बच्ची छोड़ी गई। ट्रेन काठगोदाम से दिल्ली जा रही थी। एक युवक नवजात को लेकर ट्रेन में चढ़ा। उसने एक यात्री को बच्ची थमाते हुए कहा कि वो अपनी सीट देखकर आता है। थोड़ी देर के लिए उसे संभाल ने। यात्री ने बच्ची को अपनी गोद में ले लिया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, वो युवक ट्रेन चलते ही नीचे उतर गया। यह देखकर यात्री ने चेन पुलिंग कर दी।
इसके बाद जीआरपी को इसकी सूचना दी गई। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। बच्ची को जिला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। ठंड और भूख से बच्ची लगातार रोये जा रही थी। आगे पढ़ें.. गुजरात के सूरत में चौथी बार भी जन्मा बेटा..तो मरने के लिए छोड़ा...
कुछ दिन पुरानी यह घटना गुजरात के सूरत की है। तीन बेटों के बाद जब एक दम्पती के यहां चौथी बार भी बेटा जन्मा, तो एक मां-बाप की भावनाएं दम तोड़ गईं। उन्होंने अपने चौथे बेटे को झाड़ियों में करने के लिए फेंक दिया। यह शर्मनाक घटना गुजरात के सूरत के चौक बाजार थाने की है। गनीमत रही कि झाड़ियों में पड़े नवजात पर वहां से गुजर रहे एक JCB ड्राइवर की नजर पड़ गई और उसकी जिंदगी बच गई। बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। वहां उसकी हालत ठीक है। इस बीच पुलिस ने दम्पती को पकड़ लिया है। बच्चे को सिंगणपोर इलाके में पिछले दिनों फेंका गया था। उसके रोने की आवाज सुनकर JCB के ड्राइवर की उस पर नजर पड़ गई थी। उसकी सूचना पर चौक बाजार थाना पुलिस और 108 एम्बुलेंस की टीम मौके पर पहुंची।
बच्चा बगैर कपड़े झाड़ियों में पड़ा-पड़ा ठिठुर रहा था। बच्चे को सिविल हॉस्पिटल में रखा गया है। पुलिस ने जब पड़ताल की, तो बच्चे के माता-पिता का पता चल गया। पुलिस ट्रक ड्राइवर मंगू भाई बंजारा और उसकी पत्नी गंगा बेन तक जा पहुंची। उन्होंने अपनी गलती कबूल कर ली। दम्पती ने बताया कि उनके पहले से ही तीन बेटे हैं। इस बार वे बेटी चाहते थे। जब चौथी बार भी बेटा हुआ, तो वे उसे अपनाना नहीं चाहते थे। JCB ऑपरेटर अजय वणझारा ने बताया कि जब उनकी नजर बच्चे पर पड़ी, तो उन्होंने पुलिस को कॉल किया। बच्चे को उठाकर उसे अपनी शर्ट ओढ़ा दी। आगे पढ़ें..पुणे में झील किनारे पड़े मिले जुड़वा लड़का-लड़की...
यह मामला पुणे से जुड़ा है। पिछले दिनों पाषाण झील के किनारे जुड़वां बच्चे लड़की-लड़का लावारिश में पड़े मिले। मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों की नजर इन पर पड़ी, तब पुलिस को सूचित किया गया। माना जा रहा है कि इन्हें जानबूझकर ऐसी जगह छोड़ा गया, ताकि लोगों की नजर उन पड़े और वे सुरक्षित रहें। यानी उन्हें मारने के मकसद से नहीं छोड़ा गया था। बच्चों को कंबल में लपेटकर छोड़ा गया था, ताकि वे ठंड से बच सकें। हालांकि भूख के कारण वे जोर-जोर से रोये जा रहे थे। बच्चों को पाषाण के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस आसपास लगे CCTV कैमरे खंगाल रही है, जिससे इनके मां-बाप का पता चल सके। यह भी पता चल सके कि ऐसी क्या मजबूरी थी, जिससे बच्चों को छोड़ना पड़ा। बच्चे जिस कंबल में लिपटे थे और जैसे कपड़े पहने थे, उससे पुलिस को अंदाजा हुआ है कि ये किसी अच्छी फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। फिलहाल बच्चे स्वस्थ्य हैं।