इस जवान की अंतिम झलक देखने कोई छत पर तो कोई पेड़ पर चढ़ा, हजारों लोगों ने किए वीर सपूत के दर्शन

Published : Jan 24, 2020, 07:17 PM ISTUpdated : Jan 24, 2020, 07:35 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड). जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में मंगलवार के दिन आतंकियों के बीच जारी मुठभेड़ में शहद हुए जवान राहुल रैंसवाल का शुक्रवार को अंतिम संस्कार हुआ। शहीद की इस अंतिम विदाई में हजारों लोग श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े थे। शहीद की जब अंतिम यात्रा निकाली गई तो उसकी एक झलक पाने के लिए लोग अपनी-अपनी छतों से लेकर पेड़ तक पर चढ़ गए। हर कोई अपने प्रदेश के इस वीर सपूत को आखिरी बार देखना चाहता था। वहीं पत्नी प्रीती अपने पति का चेहरा देखते ही बेसुध हो रही थी। एक तरफ वो अपनी आठ माह की बच्ची को संभालती तो दसूरी तरफ वह खुद चीखने लगती।  

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इस जवान की अंतिम झलक देखने कोई छत पर तो कोई पेड़ पर चढ़ा, हजारों लोगों ने किए वीर सपूत के दर्शन
शहीद राहुल रेंसवाल को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, क्षेत्र के विधायक और कई सेना के बड़े अफसर पहंचे थे। वहीं जवान के रिश्तेदार एक दिन पहले यानी गुरुवार को उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंच चके थे।
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शहीद अपने पीछे एक आठ महीने की छोटी सी बच्ची को भी छोड़ कर गया है। जानकारी के मुताबिक तीन साल पहले ही उनकी शादी हुई थी।
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जैसे ही शहीद की अंतिम यात्रा निकाली तो देखने वालों का हूजूम उमड़ पड़ा। वह अपने घरों की छतों पर चढ़कर राहुल की एक झलक पाना चाहते थे। हर तरफ बस एक ही आवाज आ रही थी। 'जब तक सूरज चांद रहेगा, राहुल तेरा नाम रहेगा'
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शहीद के पिता वीरेंद्र सिंह रोते हुए बोले- वह कहते हैं कि ऐसे लाल हर जगह पैदा हों, यही उनकी तमन्ना है। उन्होंने कहा कि राहुल के अंदर सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जुनून बचपन से ही था। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद राहुल ने अपने बड़े भाई की तरह सेना में भर्ती होने के लिए तैयारियां तेज कर दीं थीं।
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राहुल 2012 में फौज में भर्ती हुआ था। शहीद के बड़े भाई राजेश रैंसवाल भी 2009 से सेना में है। इस वक्त वह लखनऊ में तैनात है। राहुल के दादा भी फौज में ही थे। जबकि राहुल के पिता भी भारतीय सेना से रिटायर्ड है। राजेश रैंसवाल का परिवार भी उनके साथ लखनऊ में रहता है और वह भी घर के लिए रवाना हो गए हैं।

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