आखिरी सांस लेते समय जब सास ने पकड़ा बहू का हाथ, निकल पड़े आंसू...बहू ने निभाया अपना फर्ज

सूरत, गुजरात. यह कहानी सास और बहू के रिश्तों से जुड़ी है। आमतौर पर सास और बहू के बीच तू-तू, मैं-मैं की कहानियां ही सुनने को मिलती हैं। लेकिन यहां एक बहू ने अपनी सास की अंतिम इच्छा पूरी करने पुराने रीति-रिवाजों को तोड़ दिया। उसने सास की अर्थी को कंधा दिया। यह देखकर लोगों को हैरानी हुई, लेकिन फिर बहू और सास के अटूट प्यार को जानकर आंखों से आंसू निकल पड़े। यह मामला सूरत के अडाजण से जुड़ा है। गंगेश्वर महादेव मंदिर के पीछे शिवाजी कॉम्पलेक्स के नजदीक स्थित अर्चन अपार्टमेंट में रहने वाली धनकुंवर बेन का 6 मार्च को देहांत हो गया था। सास की अंतिम इच्छा थी कि उनकी अर्थी को बहू कंधा दे।  बहू मीनाक्षी बेन फाइनेंशियल एडवाइजर हैं। उनके पति और मृतका के बेटे बलवंत भाई मिस्त्री ने बताया कि सास-बहू बहुत करीब थीं। अपने देवर के साथ सास को कंधा देते वक्त बहू की आंखों से आंसू निकल रहे थे।(आगे पढ़ें इसी कहानी का अगला भाग...)

Asianet News Hindi | Published : Mar 14, 2020 9:28 AM IST / Updated: Mar 14 2020, 04:11 PM IST
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आखिरी सांस लेते समय जब सास ने पकड़ा बहू का हाथ, निकल पड़े आंसू...बहू ने निभाया अपना फर्ज
मीनाक्षी ने बताया कि उनकी सास की क्रिया-कर्म पर फिजूल खर्ची के खिलाफ थीं। उन्होंने कहा था कि ये पैसे जरूरतमंदों पर खर्च करना। बस, उनकी आखिरी इच्छा थी कि उन्हें उनकी पसंद की साड़ी में विदा किया जाए। मीनाक्षी ने बताया कि उनके ससुर की 2004 में मौत हो गई थी। तब ही अंतिम संस्कार सामान्य तरीके से किया गया था।
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यह मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी के जोगेंद्रनगर का है। यह मामला दिसंबर, 2019 का है। यहां रहने वालीं सोमा सूद को कंधा देने उनका बेटा रमेश जिंदा नहीं था। उसका इस घटना के तीन साल पहले ही निधन हो गया था। ऐसे में सोमा की बहू और पोतियों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया।
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यह मामला महाराष्ट्र के बीड का है। यहां अपनी सास का निधन पर चार बहुओं ने उनकी अर्थी को कंधा देकर एक मिसाल पेश की थी। यह मामला सितंबर, 2019 का है। काशीनाथ नगर में रहने वालीं 83 साल की सुंदरबाई दगडू नाईकवाड़े अपनी बहुओं को बहुत प्यार करती थीं।
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यह मामला झारखंड के हजारीबाग जिले के करगालो का है। यहां 75 वर्षीय सबिया देवी का निधन होने पर उनकी दो बहुएं उर्मिला देवी और अम्बिया देवी ने कंधा दिया।
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सुंदरबाई दगडू की बहुओं ने बताया कि उनके यहां ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। महिलाएं किसी अर्थी को कंधा नहीं देतीं। लेकिन जब उन्होंने अपनी सास को कंधा देने का फैसला किया, तो लोग हैरान हुए थे। हालांकि बाद में सबने सहयोग किया।
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