खुद के पास नहीं, फिर भी की दूसरों की मदद: दरअसल, यह कहानी दिल्ली के पुटपाथ पर रकहर रोटी रोटी कामाने वाले लौहारों की है। जहां उनकी करीब 127 से ज्यादा बस्तियां हैं। वह सड़क किनारे बैठकर लोहे का सामान बनाते हैं। इस समय उनके पास भी कोई काम नहीं है, इसके बाद भी उन्होंने संकट के दौर में गरीबों के पेट भरने के लिए अपनी समाज के लोगों से चंदा किया और 51 हजार रुपए जुटाकर एक सामाजिक संस्था को दान दिया है। जो ऐसे समय में भूखे लोगों को खाना बनाकर बांट रही है।