क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, जिसे देवभूमि में आए सैलाब ने कर दिया तबाह..गायब हैं यहां के 150 मजदूर


देहरादून. उत्तराखंड में रविवार को ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। इस प्राकृतिक आपदा में  150-180 लोगों के मौत की आशंका जताई जा रही है। मौके पर लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ, आईटीबीपी, थल सेना और वायु सेना के जवान राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। दरअसल, इस हादसे में सबसे ज्यादा नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को हुआ है और यहां काम करने वाले कई मजदूर लापता हैं। आइए जानते हैं क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट...

Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2021 12:27 PM IST / Updated: Feb 07 2021, 05:58 PM IST
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क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, जिसे देवभूमि में आए सैलाब ने कर दिया तबाह..गायब हैं यहां के 150 मजदूर


बता दें कि चमोली जिले में बिजली उत्पादन की एक परियोजना चल रही है, जिसका नाम ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट है। यह करीब 10 साल से अधिक से काम कर रही है और यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना है। ऋषि गंगा नदी धौली गंगा में मिलती है। ग्लेशियर टूटने की वजह से इन दोनों नदियों में पानी का स्तर बढ़ गया है और बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं।

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इस प्रोजेक्ट को बंद करने के लिए पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली सामजिक संस्थाओं ने इसे बंद कराने की काफी  कोशिश की थी। इतना ही नहीं यहां के लोगों ने  इसे बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। उसके बावजूद भी इसे बंद नहीं किया गया। अब इस तबाही से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को काफी नुकसान तो हुआ ही है, लेकिन यहां काम करने वाले करीब 150से ज्यादा मजदूर गायब हैं।

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तबाही और इस प्रोजेक्ट को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने लिखा है कि जोशीमठ से 24 किलोमीटर पैंग गाव ज़िला चमोली उत्तराखंड के ऊपर का ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बना हुआ पावर प्रोजेक्ट ज़ोर से टूटा और एक तबाही लेकर आगे बढ़ रहा है । मै गंगा मैया से प्रार्थना करती हूँ की माँ सबकी रक्षा करे तथा प्राणिमात्र की रक्षा करें।

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उमा भारती अपने अगले ट्वीट में लिखा है कि में जब मंत्री थी तब अपने मंत्रालय के तरफ़ से हिमालय उत्तराखंड के बांधो के बारे में जो ऐफ़िडेविट दिया था। उसमें यही आग्रह किया था की हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है इसलिये गंगा एवं उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नही बनने चाहिए।

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उमा भारती ने कहा कि मैं इस दुर्घटना से बहुत दुखी हूं। उत्तराखंड देवभूमि है। वहां के लोग बहुत कठिन जीवन जीकर तिब्बत से लगी सीमाओं की रक्षा के लिए सजग रहते हैं। मैं उन सबके रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करती हूं।

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