2008 में सीरियल बम धमाकों से दहला था अहमदाबाद, जानिए उस काले दिन की खौफनाक कहानी, तब से अब तक क्या-क्या हुआ

अहमदाबाद : 26 जुलाई 2008 का वो काला दिन। शाम को बाजार गुलजार थे और लोग अपनी रोजमर्जा की जिंदगी में व्यस्त। लेकिन किसी को नहीं पता था कि अगले पल क्या होने वाला है। शाम के साढ़े 6 बजे होंगे कि तभी अचानक जोरदार धमाका हुआ, लोग कुछ समझ पाते कि तब तक एक के बाद एक सिलसिलेवार 23 धमाके हुए। 45 मिनट में सबकुछ तबाह हो गया था, 56 लोग मारे जा चुके थे, 260 जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे और जो जिंदा बच गए थे उनके सामने था मौत का खौफनाक मंजर...जानिए उस काले दिन की खौफनाक कहानी से लेकर इंसाफ मिलने तक की पूरी टाइमलाइन...

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 9:44 AM IST / Updated: Feb 11 2022, 03:40 PM IST

110
2008 में सीरियल बम धमाकों से दहला था अहमदाबाद, जानिए उस काले दिन की खौफनाक कहानी, तब से अब तक क्या-क्या हुआ

ये ब्लास्ट भीड़-भाड़ वाली जगहों पर दहशत फैलाने के इरादे से किए गए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसे कथित तौर पर 'इंडियन मुजाहिदीन' (Indian Mujahideen) ने धमाकों की चेतावनी दी थी। ब्लास्ट के बाद गुजरात (Gujrat) की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए। जांच से पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हुआ था।

यह भी पढ़ें- अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस : 13 साल चली सुनवाई, 1100 गवाहों के बयान दर्ज, 77 आरोपियों में से 49 दोषी ठहराए गए

210

गुजरात पुलिस के सामने चुनौती बहुत बड़ी थी, क्योंकि उसी दौरान आतंकवादी समूह 'इंडियन मुजाहिदीन' के हस्ताक्षर वाले सीरियल विस्फोटों की कई घटनाओं का पता नहीं चला था, जिसमें बेंगलुरु (Bengaluru), जयपुर (Jaipur), मुंबई (Mumbai), वाराणसी (Varanasi)में विस्फोट शामिल थे। जांच गुजरात में हुए इन विस्फोटों के मामलों को डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच, अहमदाबाद सिटी की विशेष टीमों को क्राइम ब्रांच पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया की अध्यक्षता में सौंपा गया। 

310

15 अगस्त 2008 को गुजरात पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की साजिश का पता चला। सिमी के तत्कालीन सदस्यों ने पाकिस्तान (Pakistan) में मौजूद एजेंसियों और अंडरवर्ल्ड की मदद से भारत में सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम दिया था। जांच में आगे पता चला कि अहमदाबाद विस्फोटों की योजना बनाने वाले इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने मई 2008 के दूसरे हफ्ते में अहमदाबाद के वटवा इलाके में एक घर किराए पर लिया था। इसे अहमदाबाद के रहने वाले जाहिद शेख ने किराए पर लिया था।

410

इस घर का इस्तेमाल मुख्यालय के रूप में किया जाता था, जहां मुफ्ती अबू बशीर और मोहम्मद कयामुद्दीन अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर समेत अन्य सदस्य इस ब्लास्ट की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए रुके थे। धमाके के एक दिन पहले 25 जुलाई 2008 को घर खाली कर दिया गया था। जांच से पता चला कि लगभग 40 मुस्लिम लड़के, जिनमें से 23 गुजरात के थे, सभी ने मई 2008 में मध्य गुजरात में ट्रेनिंग ली थी। इन धमाकों में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में ISI के हाथ होने के भी सबूत मिले।  

510

अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट और सूरत से बिना फटे बमों की बरामदगी में निर्दोष लोगों की जान गई। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने गुजरात ही नहीं देश से आतंकी गतिविधियों को खत्म करने पर विचार किया। गुजरात सरकार के नेतृत्व में मामलों का पता लगाने और इन आतंकियों को गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम बनाया गया।

610

तत्कालीन जेसीपी क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया गया। आशीष भाटिया ने इसमें मदद की। इस टीम का हिस्सा थे अभय चुडास्मा (डीसीपी क्राइम) और हिमांशु शुक्ला (एएसपी हिम्मतनगर)। इन मामलों की जांच तत्कालीन डीएसपी राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, उषा राडा और वीआर टोलिया को सौंपी गई थी। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया था और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था। 
 

710

ज्यादातर बम साइकिल पर टिफिन बॉक्स में रखे गए थे जबकि जयपुर ब्लास्ट में इस्तेमाल नीले पॉलीथिन बैग में रखे गए थे। एलजी और सिविल अस्पतालों में बम गैस सिलेंडर से भरी गाड़ियों में रखे गए थे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ सके। सभी बम टाइमर के जरिए सेट किे गए थे। इनमें अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। अहमदाबाद के सिलसिलेवार विस्फोटों के मामलों की सुनवाई और सूरत से बमों की बरामदगी को एक साथ मिला कर अहमदाबाद शहर के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय के विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई। एक फरवरी 2022 को विशेष अदालत में फैसला सुनाया जाना था लेकिन जज के कोरोना संक्रमित होने से इसे 8 फरवरी को सुनाया गया। 

810

इस मामले में कुल 82 आरोपी गिरफ्तार किए गए। केस चलने के दौरान दो की मौत हो गई थी। चार के खिलाफ अभी आरोप दायर करना बाकी है। कुल 76 आरोपियों की सुनवाई हो चुकी है। सूरत में बमों की बरामदगी मामले में कुल 71 आरोपी गिरफ्तार किए गए। दो की केस चलने के दौरान मौत हुई। तीन के खिलाफ अभी आरोप दायर किए जाने हैं जबकि 66 की सुनवाई हो चुकी है। इन मामलों में गिरफ्तार किए गए कुल आरोपियों में से नावेद नईमुद्दीन कादरी को मानसिक बीमारी के आधार पर जमानत पर रिहा कर दिया गया है और अयाज रजाकमिया सैय्यद मामले में सरकारी गवाह बन गया है, जिसे और गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है।

910

तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री,अमित शाह ने लगातार इस मामले की जांच की निगरानी की। उनकी और पुलिस टीम की मेहनत की ही नतीजा है कि आज इस मामले में इंसाफ मिला। 

1010

तब मुख्यमंत्री मोदी ने दृढ़ संकल्प था कि राज्य में इस तरह का कोई आतंकी घटना नहीं होने देंगे। सुरक्षा पुख्ता की जाएगी। इसी का नतीजा है कि 2008 के बाद से गुजरात में एक भी आतंकी घटना नहीं हुई थी।

इसे भी पढ़ें-अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस : 13 साल चली सुनवाई, 1100 गवाहों के बयान दर्ज, 77 आरोपियों में से 49 दोषी ठहराए गए

इसे भी पढ़ें-13 साल पहले 21 बम धमाकों से दहल गया था अहमदाबाद, अब जाकर मिला न्याय, स्पेशल कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

 

Read more Photos on
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos